April 16, 2025
लाइफस्टाइल

Swastik को लेकर इस संशय को दूर करना ही होगा

हेकेनक्रूज को स्वास्तिक की तरह मानने वाले लोगों को समझना ही होगा

पिछले दिनों नाजी निशान हेकेनक्रूज को लेकर छिड़ी बहस में एक बार फिर स्वास्तिक पर बेवजह ही निशाना साधा जाने लगा. पहले भी इस तरह का संशय खड़ा करने की कोशिश की गई थी कि स्वास्तिक और हिटलर का हेकेनक्रूज एक ही हैं जबकि इन दोनों में मूलभूत फर्क है. 2013 में इन अंतर को साफ भी किया था और इस आधार पर ओरेगन शिक्षा विभाग ने स्वास्तिक के पुरा महत्व को स्वीकार भी किया था.

दरअसल हिंदू परंपरा के अनुसार स्वास्तिक की रेखाओं को सरूप्य (ईश्वरीय रूप), सालोक्य (ईश्वर का विश्व), सामीप्य (ईश्वर के समीप) और सायुज्य (ईश्वर का अंश) माना जाता है. वेदों में भी स्वास्तिक का उल्लेख है जो सूर्य और सृष्टि निर्माण का प्रतीक है. यह शक्ति का प्रतीक भी माना जाता है और साक्षात गणेश का प्रतीक भी माना जात है. हिंदू धर्म में स्वास्तिक का उपयोग शुभ लाभ के लिए हर शुभ जगह किया जाता है. इसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी और इस चिह्न को हिंदुओं के अलावा बौद्ध, जैन, वाइकिंग्स और यूनानियों तक ने शुभ प्रतीक माना है. इसके केंद्र को दिव्य मिलन से जोड़ा जाता है. इससे ठीक उलट हेकेनक्रूज हमेशा से समाज में बंटवारे का ही प्रतीक रहा है और विश्वयुद्ध के दौरान सबसे ज्यादा बुरी तरह इस्तेमााल हुआ.