Relationship- वो कैसे निभा रही होगी…
इज्जतदार…
-डॉ.छाया मंगल मिश्र
एअरपोर्ट के अंदर जाने के लिए हम लाइन में खड़े थे, हमारे आगे एक पति-पत्नी भी थे. चेकिंग के लिए डॉक्यूमेंट निकलने में पत्नी को समय लगा, वो पर्स में ढूंढ रही थी कि पति के प्रवचन चालू हुए ‘ पहले से कहा था न. गंवार हो क्या? कागज नहीं सम्हलते. तुमसे तो अनपढ़ लोग समझदार हैं.’ ऐसा जोर जोर से कहते समय वो गर्वीली नजरों से आसपास के लोगों को देखता जा रहा था. ‘कभी कोई काम किया है ढंग से जो ये करती. हमेशा ढोरोंवाली हरकतें होती हैं तुम्हारी.’ बेचारी पत्नी घबराती हुई लाचार, शर्मिंदा होती बोली ‘सामने ही था अभी तो. याद है मुझे अभी दिखा था.’ ‘तो क्या पर्स खा गया बेवकूफ औरत… गधी हो तुम. हमेशा मूर्खता करती रहती हो. उल्लू जैसे मत देखो आँखें खोल कर देखो.’ इतने में उसे कागज मिल गया. ‘अरे ये रहा ऑफिस के विजिटिंग कार्ड के साथ चिपक गया था तो दिख नहीं रहा रहा था.’ इतने ‘परायों’ के बीच ‘कथित अपने’ से घोर बेइज्जत होती लज्जित हो बोली बेचारी. ‘हमेशा जूते खाने के काम करती हो.’ कहता हुआ पति विजयी भाव से बोला. ‘हमेशा मेरी इज्जत का कचरा करवाती है’ कहता हुआ उसे धकिया कर अंदर चला.
सोचिये जरा अपनी पढ़ी-लिखी ,शांत स्वभाव, नौकरी पेशा पत्नी को लगातार सार्वजनिक जगह और रूप से जलील करता आदमी“इज्जतदार” (?)और चुप रह कर शांत और विनम्र भाव से रिश्ता निभाती सहनशील पत्नी हर जानवर का रूप? आजकल तो कचरे का भी रिसायकल कर उपयोग हो सकता है पर ऐसा “कचरा दिमाग” आदमी तो निरा नुगरा और कूड़ाकलंकित ही है.
जमाना बदल गया है. वो पत्नी कैसे निभा रही होगी? भगवान जाने उसकी क्या मजबूरी है वरना यदि सोनम मुस्कान जैसी मिली होती तो कब के ही ठिकाने लग गए होते जनाब.
(सच्ची बात)