Parsi समाज ने 350 साल पुरानी प्रथा अब तोड़ी
बॉम्बे पारसी पंचायत ट्रस्ट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए अपने 350 वर्षों के दर्ज इतिहास में पहली बार एक पूर्व अध्यक्ष का शरीर दाह संस्कार के लिए भेजा, पारंपरिक रुप से पारसी अंतिम संस्कार ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ में करते रहे हैं. इस तरह अर्थशास्त्री और समाज सेवी मिनू श्रॉफ भी इतिहास में दर्ज हो गए कि पारसी समाज में पहली बार किसी का दाह संस्कार किया गया. मिनू ट्रस्ट से लंबे समय से जुड़े हुए थे, वे मुंबई के सबसे बड़े जमीन मालिकों में से एक थे. मिनू का निधन रविवार को हुआ था. यूं तो मुंबई की प्रसिद्ध अग्यारी के करीब ही पारसियों का ‘दखमा’, या ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ है और यहां अब तक यही होता आया है कि ‘दोख्मेनाशिनी’ के तहत शव को कुंए जैसी एक जगह में पत्थरों के बीच छोड़ दिया जाता है जहां सूर्य का प्रभाव और गिद्ध इसे नखत्म कर देते थे लेकिन लंबे समय से गिद्धों की घटती संख्या के चलते यह बात उतनी सामान्य नहीं रह गई थी. इस पारंपरिक अंतिम संस्कार प्रणाली में गिरावट का एक कारण देश में गिद्धों का विलुप्त होना है. ज्यादा समय नहीं हुआ जब कुछ पारसी दाह संस्कार का चुनाव करते थे, तो उनके परिवारों को ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’ में ‘बंगली’ (प्रार्थना हॉल) का उपयोग तक नहीं करने दिया जाता था.