April 16, 2025
लाइफस्टाइल

LifeStyle सुधार लें तो लंबे समय तक दिमाग भी युवा रहेगा

वे बड़ी पंद्रह वजहैं जो दिमाग की कार्यक्षमता कम करती हैं या उसे मुश्किलों में डालती हैं

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल से जुडे मास जनरल ब्रिघम का एक नया अध्ययन सामने आया है जिसमें दिमाग से जुड़ी मुश्किलों को लेकर कुछ तथ्य सामने रखता है. जर्नल ऑफ़ न्यूरोलॉजी, न्यूरोसर्जरी एंड साइकियाट्री में प्रकाशित किए गए इस अध्ययन से समझा जा सकता है कि कैसे दैनिक आदतों में छोटे बदलाव और खुद पर थोड़ा सा ध्यान दे लेने से मस्तिष्क को समय से पहले बूढ़ा होने से बचाया जा सकता है. मास जनरल हॉस्पिटल और हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में ब्रेन केयर लैब्स के विशेषज्ञों ने उन जोखिम कारकों को भी खोजा जो स्ट्रोक, मनोभ्रंश और अवसाद के जिम्मेदार हो सकते हैं. 15 ऐसे फैक्टर हैं जिन पर यदि ध्यान दिया जाए तो दिमाग को लंबे समय तक युवा बनाए रखा जा सकता है. शोधकर्ता जैस्पर सेनफ का कहना है कि ऐसे कई फैक्टर मस्तिष्क संबंधी रोगों से आपस में जुड़े हुए हैं लेकिन अच्छी बात यह है कि कई कारक एक जैसे हैं. आइये जानें दिमाग को सक्रिय बनाए रखने के लिए किन 15 फैक्टर का ध्यान रखने को कहा गया है.

  1. डायबिटीज – डायबिटीज के चलते दिमाग को बड़ा खतरा होता है.
  2. हाई बीपी – स्ट्रोक, मनोभ्रंश और अवसाद के प्रमुख कारणों में से एक है.
  3. किडनी रोग – इससे मस्तिष्क संबंधी विकारों का खतरा बढ़ सकता है।
  4. ब्लड शुगर – इसका भी दिमाग पर सीधा असर होता है.
  5. उच्च कोलेस्ट्रॉल – स्ट्रोक और मनोभ्रंश का बड़ा कारक है.
  6. अत्यधिक शराब पीना – मस्तिष्क और मनोदशा पर असर डालता है.
  7. असंतुलित आहार – अनेक दीर्घकालिक बीमारियों का प्रमुख कारण.
  8. मोटापा – स्ट्रोक, मनोभ्रंश और अवसाद का खतरा बढ़ जाता है.
  9. पुराना दर्द – मानसिक स्वास्थ्य और दिमाग की कार्यप्रणाली को खराब कर सकता है.
  10. शारीरिक निष्क्रियता – दिमाग संबंधी बीमारियों में योगदान देती है.
  11. जीवन में उद्देश्य की कमी – यदि आपके पास कोई जीवन जीने को लेकर उद्देश्य नहीं हैं तो भी अवसाद का खतरा बढ़ता है.
  12. खराब नींद की गुणवत्ता – मूड और मस्तिष्क स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.
  13. धूम्रपान – कई मस्तिष्क विकारों के लिए जोखिम बढ़ाता है.
  14. सामाजिक अलगाव या अकेलापन – अवसाद और मनोभ्रंश से गहरा संबंध.
  15. दीर्घकालिक तनाव – मानसिक स्वास्थ्य और मस्तिष्क की कार्यप्रणाली पर प्रभाव डालता है.