Homo Erectus के जमाने से रह रहे हैं मानव रेगिस्तान में
अब तक माना जाता था कि होमो सेपियंस ने ही कठिन जगहों पर रहना सीखा था
हमारे पूर्वज होमो इरेक्टस गर्म और सूखे रेगिस्तान का सामना करने में लाखों साल पहले सक्षम हो गए थे. तो फिर क्या आधुनिक मानव से पहले भी लोग गर्म हवाओं और तपती रेत के बीच रहते थे. अब तक माना जाता था कि होमो सेपिएंस यानी आधुनिक मानव ही रेगिस्तान में रहना सीख सका. हालांकि, एक नई रिसर्च के बाद दावा किया गया है कि होमो इरेक्टस भी रेगिस्तान में रहता था. रेगिस्तान में रहता था होमो इरेक्टसहोमो इरेक्टस आदिमानवों में हमारा वह पूर्वज है जिसने सीधे खड़े हो कर दो पैरों पर चलना शुरू किया. नई रिसर्च रिपोर्ट के नतीजे में दावा किया गया है कि होमो इरेक्टस करीब 10 लाख साल पहले रेगिस्तान में रहता था. वैज्ञानिक लंबे समय तक यही मानते रहे कि होमो सेपिएंस ही इस तरह के वातावरणों में खुद को ढाल कर वहां लंबे समय तक रहने लायक बन सका. होमो सेपिएंस की उत्पत्ति करीब 3 लाख साल पहले हुई थी. कपियों के वंश से आगे बढ़ जो शुरुआती आदि मानव की प्रजातियां थीं उनके बारे में यही माना जाता है कि वे जंगल, घास के मैदान और गीले दलदली इलाकों जैसे कम मुश्किल इकोसिस्टम में ही फले फूले.
जीवाश्म में तब्दील हो चुके एफेद्रा झाड़ी के पराग और मिट्टी में जंगल की पुरानी आग की निशानियों से पता चला है कि इस जगह पर करीब 10 से 12 लाख साल के बीच भयानक सूखा था.
गॉर्ज में एनगाजी नानयोरी से जमा हुए नमूने बताते हैं कि होमो इरेक्टस ने इस कठिन वातावरण के लिए खुद को अनुकूलित कर लिया था. होमो इरेक्टस ने यहां रहने के लिए अपने को ढाल लिया. होमो इरेक्टस ने जानवरों के मांस को कैसे काटना और उपयोग में लाना है यह भी सीख लिया था. गाय, हिप्पोपोटैमस, मगरमच्छ, हिरण जैसे जानवरों की हड्डियां मिली हैं जिन पर काटने के निशान हैं. इसका मतलब है कि उनकी खाल उतारी गई और उनकी अस्थि मज्जा को निकाला. इस अनुकूलन ने होमो इरेक्टस के पूरे अफ्रीका और उसी तरह के सूखे और गर्म एशियाई वातावरण में रहने की संभावना का विस्तार किया.