Himalaya की झीलों से गंगा खतरे में
हिमालय में भारी संख्या और ग्लेशियर और बर्फ वाला यह इलाका अब ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से बहुत प्रभावित है. गर्मी के चलते बर्फ पिघल रही है और ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं. ग्लेशियरों के सिकुड़ने का मतलब है बर्फ का उतनी ही तेजी से पिघलना और इसका नतीजा यह होता है कि पहाड़ों पर जहां भी यहां से बहकर आने वाला पानी जमा होता है, वहां पर ग्लेशियर लेक्स का निर्माण हो जाता है. कई बार ये नए बनते हैं और कई बार पुरानी लेक्स का आकार ही बढ़ा देते हैं. हिमालय के ये ग्लेशियर और बर्फ भारत की बड़ी नदियों के मुख्य स्रोत हैं, लेकिन ये बर्फीली झीलें न सिर्फ हिमालय के लिए बल्कि गंगा और ब्रम्हपुत्र जैसी नदियों के लिए भी खतरनाक साबित हो रही हैं. इन ग्लेशियल लेक्स के फट पड़ने का खतरा बना रहता है और यदि ये फब् जाएं तो निचले इलाके खतरे में आ जाते हैं. इसरो सैटेलाइट्स के जरिए नई बनने वाली झीलों पर और पुरानी झीलों के बढ़ते हुए आकार पर नजर रखता है ताकि लेक्स के फूटने से पहले लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित हो. 1984 से 2023 तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो नजर आता है कि 2431 झीलें ऐसी हैं, जो आकार में 10 हेक्टेयर की हैं या इससे भी बड़ी हैं जबकि 676 झीलों के आकार यानी क्षेत्रफल में बढ़ोतरी हुई है. हालांकि ये सभी झीलें भारत में मौजूद नहीं हैं.