Chandrayan 5 जापान के साथ मिलकर बनेगा खास मून मिशन
केंद्र सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अब जापान के साथ पूरी कार्ययोजना पर चर्चा
इसरो को केंद्र सरकार से चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी मिल गई है. चंद्रयान-5 मिशन को 2028 में लॉन्च किए जाने की संभावना है हालांकि इसके बारे में अभी कुछ तय नहीं है. यह मिशन जापान के साथ पूरा किया जाना है और यह चंद्रयान 3 व चंद्रयान 4 के आगे की कड़ी है. चंद्रयान-3 मिशन के साथ भारत चांद की सतह पर सुरक्षित सॉफ्ट लैंड करने वाला चौथा देश और दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना. अब तक के मून मिशन तापीय चालकता, तापमान में अंतर, ऑक्सीजन, जल वाष्प और कार्बन-डाई-ऑक्साइड की मौजूदगी आदि समझने के हिसाब से बनाए गए थे वहीं चंद्रयान-5 को दूसरा नाम लूनर पोलर एक्स्प्लोरेशन यानी ल्यूपेक्स (LUPEX) मिशन नाम दिया गया है. इसमें भेजा जाने वाला 250 किलो का रोवर चंद्रमा के दक्षिण ध्रुव की कई स्तरों की जांच परख करेगा. चंद्रयान-5 के लैंडर का वजन करीब 26 टन होने की संभावना है. चंद्रमा की सतह पर बर्फ और पानी की जांच के अलावा भी कई जांचें मिशन का हिस्सा होंगी. लैंडर में लगा ग्राउंड पेनिट्रेटिंग राडार चांद की सतह से कई फीट नीचे तक की जानकारियां हासिल कर सकेगा. मिड-इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रोमीटर और रमन स्पेक्ट्रोमीटर से लैस लैंडर चांद की सतह और दक्षिणी ध्रुव पर तापमान में बदलाव के असर को भी परखेंगे.
चांद की सतह की गहराई को समझने के लिए एक विशेष सेंसर भी इसमें शामिल होगा. चंद्रयान-5 मिशन पुराने सभी मिशन से ज्यादा लंबे समय तक काम करने के लिए डिजाइन किया जाना इसका थर्मल सिस्टम बेहद गर्म 127 डिग्री से लेकर बहुत ठंडे यानी माइनस 173 डिग्री सेल्सियस में भी काम कर सकेगा. चांद पर अब तक सिर्फ अमेरिका से ही इंसान भेजा जा सका है और उस मिशन को भी 50 साल से ज्यादा हो चुके हैं. ऐसे में चंद्रयान 5 भारत के चंद्रमा पर मैन मिशन की भी राह खोलने में सहायता करेगा. चंद्रयान-5 के लैंडर को इस हिसाब से बनाया जा रहा है कि इसकी तर्ज पर चांद पर इंसानों को उतारने लायक चंद्रयान इसरो बना सके.