April 19, 2025
लाइफस्टाइल

Anti Biotics का असर लगातार हो रहा कम

नए शोध में पता चला कि रोगाणुओं में प्रतिरोध मजबूत हो गया

एंटी बॉयोटिक दवाओं को लेकर हमारे शरीर किस कदर प्रतिरोधी हो गए हैं इस बात का अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि हर साल दुनिया में 30 लाख बच्चे इसी वजह से मारे जाते हैं कि उन पर एंटीबॉयोटिक काम नहीं करती. एक अध्ययन में बताया गया है कि यह खतरा अफ्रीका और एशिया में ज्यादा है. जिसे एंटीमाइ‌क्रोबायल रेजिस्टेंस या एएमआर कहा जाता है, वह स्थिति अब विज्ञान के लिए बड़ी चुनौती बनती जा रही है. एएमआर में संक्रामक रोगाणु, इतने ताकतवर होते हैं कि एंटीबायोटिक दवाएं काम नहीं कर पाती हैं. यह बड़ा स्वास्थ्य खतरा है.

डब्ल्यूएचओ और विश्व बैंक से भी इस अध्ययन के लिए आंकड़े लिए गए और अंदाजा यह सामने आया कि 2022 में दुनियाभर में तीस लाख बच्चों की मौत एएमआर स्थिति के चलते हुई. विशेषज्ञों की ज्यादा बड़ी चिंता यह है कि सिर्फ तीन साल में बच्चों में इसमें दस गुना बढ़ोतरी हुई है. कुछ जीवाणुओं ने दवाओं के प्रति इतना प्रतिरोध बढ़ा लिया है कि एंटीबायोटिक दवाओं को लेना बेकार होता जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया के मर्डोक चिल्ड्रेन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट के डॉक्टर यानहॉग जेसिका हू और क्लिंटन हेल्य एक्सेस इनिशिएटिव के प्रोफेसर हवं हार्वेल ने इस शोध में बताया है कि 2019 से 2021 के बीच ‘वॉच एंटीबॉयोटिक्स’ और ‘रिजर्व एंटीबायोटिक्स’, दोनों का प्रयोग तेजी से बढ़ा है जबकि इनका असर लगातार कम से कम होता जा रहा है.