Telegram के डुरोव की गिरफ्तारी से उठते सवाल
सोशल मीडिया के महाराजाओं को लेकर छिड़ रही जंग
टेलीग्राम सोशल मीडिया के फाउंडर पावेल डुरोव निजी विमान से पेरिस के करीबी ले बार्गेट एयरपोर्ट पर पहुंचे थे और यहां उन्हें फ्रांस की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. उन पर आरोप है कि उन्होंने पयर्याप्त मॉडरेटर्स नहीं रखे ताकि मीडिया पर आ रहे कंटेंट को रेगुलेट किया जा सके, इसके अलावा उन पर आरोप यह भी है कि उन्होंने फ्रांस के लॉ एंफोर्समेंट को सहयोग नहीं किया.
इस सबके बीच शंका यह है कि उन्हें बीस साल तक की सजा हो सकती है. डु़रोव के पास फ्रांस और रुस, दोनों की नागरिकता है और इस बात पर रुस भी फ्रांस से सवाल जवाब कर सकता है इसलिए पेरिस पुलिस ने डुरोव पर कई सारे आरोप एक साथ जड़ दिए हैं. चूंकि वे टेलीग्राम के मालि हैं इसलिए इस सोशल मीडिया पर जो कुछ चलता है उस सभी के लिए उन्हें जिम्मेदार मानते हुए उन पर आतंक, ड्रग ट्रैफिकिंग,फा्रॅड,मनी लांड्रिंग और चाइल्ड एब्यूज तक के आरोप लगा दिए गए हैं ताकि उनका लंबे समय तक जेल में रखा जाना तय हो सके. डुरोव को गिरफ्तार करने के बाद से एलन मस्क ने खुलकर उनके साथ खड़े होने का ही ऐलान नहीं किया बल्कि लगातार इसे फ्री स्पीच पर हमला बताकर सभी को ऐसी सोच रोकने के लिए कह रहे हैं जिसमें फ्री स्पीच की गुंजाइश ही नन हो. मस्क ने पहले तो उन प्रयासों की एक छोटी सूची जारी की जिनमें यूके में लोगों को मीम्स शेयर करने के लिए गिरफ्तार करने, आयरलैंड में मीम्स पर बैन लगाने, ब्राजील से एक्स को हटने के लिए मजबूर करने, ऑस्ट्रेलिया में एक्स की पोसट सेंसर करने की कोशिश करने, यूरोपियन यूनियन द्वारा खुद को ब्लैकमेल करने की कोशिशों, अमेरिका में मीम शेयर करने पर गिरफ्तारी जैसी घटनाओं की सूची बताकर यह दिखाया कि फ्री स्पीच खतरे में है. यहां तक तो बात डुरोव की गिरफ्तारी और फ्री स्पीच को लेकर ही थी लेकिन इसके बाद एक ट्वीट को रिट्वीट करते हुए मस्क ने एक गंभीर सवाल उठाते हुए यह पूछने की कोशिश की आखिर मार्क जुकरबर्ग की ऐसे किसी मामले में गिरफ्तारी क्यों नहीं होती जबकि उनकी मालिकाना कंपनी के इंस्टाग्राम पर बच्चों के यौन शोषण की समस्या सबसे ज्यादा है.
इसका उत्तर देते हुए वे लिखते हैं कि मार्क सेंसरशिप के दबाव में काम करते हैं और यही वजह है कि वो न सिर्फ फ्री स्पीच को सेंसर करते हैं बल्कि सरकारों को बैक डोर एंट्री भी देते हैं. जाहिर है अब बात टेलीग्राम के डुरोव से बढ़कर उससे कहीं आगे पहुंच गई है जिसमें फेसबुक-इंस्टाग्राम के मालिक जुकरबर्ग से सीधे मुकाबला ट्विटर के मालिक एलन मस्क से है. चूंकि मस्क ही हैं जो फ्री स्पीच की बात कहते हैं जबकि उनके विरोधी यानी जुकरबर्ग इस मामले में कुछ भी कहने से बचते ही हैं, इसलिए यह देखना रोचक हो गया है कि क्या सोशल मीडिया के इन महाराजाओं की लड़ाई आम लोगों की बात रखने के प्रति उनकी जिम्मेदारियों को लेकर सार्थक रुप से सामने आएगी. हकीकत तो यही है कि इन सोशल मीडिया के महाराजाओं के पास यूजर्स बतौर किसी भी देश से बड़ी जनसंख्या है जिनकी बात को रखने देना या सेंसर कर देना इनकी पॉलिसी का एक छोटा सा हिस्सा भर है.