Number 2 ‘आप’ प्रचारक और अति तक उम्मीदें
लेख-आदित्य पांडे
परम आदरणीय ‘आप’ की प्रचारक नंबर दो, जी
‘आप’ से तो उम्मीदें टूट गई थीं और अब सिर्फ आप से उम्मीद बची है, आप पार्टी का गठन ही बच्चों की कसम खाकर यूटर्न लेने के बाद हुआ तो कसमे वादे तोड़ने पर इनसे रुठने का चलन ही नहीं बचा लेकिन आप उस शीशमहल की मालकिन हैं जहां दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष से ही मारपीट हो गई, आप उस घर की गृहलक्ष्मी हैं जहां आप पार्टी के सर्वेसर्वा किसी को भी पीटने का आदेश दे सकते हैं, आप वो महिला हैं जो आम आदमी पार्टी की दूसरे नंबर की स्टार प्रचारक हैं और आप वो हैं जो केजरीवाल के जेल जाने पर सोनियां से लेकर सोरेन परिवार तक के हाथ में हाथ थामे केजरीवाल के हर सपने को पूरा करने की कसमें खाती हैं. कुछ लोग कहते हैं कि आप लंबे समय से आप स्वाति को पसंद नहीं करती थीं और मौके पर चौका आपके इशारे पर जड़ा गया लेकिन हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते. देखिए सरजी ने जिस तरह मालीवाल नाम आतमे ही लखनऊ में माइक अखिलेश के सुपुर्द किया, जिस तरह दिल्ली पुलिस तीन दिनों से इंतजार ही कर रही थी कि घटना का कुछ सुराग हाथ लगे तो आगे कुछ करने का सोचें, जिस तरह राजधानी में राज्यसभा सांसद के पिट जाने पर राज्यसभा के मुखिया चुप बैठे रहे, बात बेबात खुद संज्ञान लेकर किसी को भी डपट सकने का अधिकार रखने वाली सुप्रीम कोर्ट चुप बनी रही, प्रधानमंत्री और लौहपुरुष के बाद सबसे सख्त कहे जाने वाले गृहमंत्री कुछ राह खुलने का इंतजार करते रहे, जिस तरह महिलाओं के हक में तमाम कानूनी अख्तियार रखने वाली एजेंसियां चुप बैठी रहीं, जिस तरह खुद एनजीओ से जुड़ी रही महिला के लिए एनजीओ वाले ही नदारद हो गए और जिस तरह मीडिया ने फिर भी मालीवाल पर कम से कम कवरेज रखने की कोशिश की ताकि आप पार्टी से मिलने वाले विज्ञापन बंद न हो जाएं तो उम्मीद बस आपसे ही बचती है. केजरीवाल चुप हो जाएंगे तो आपको ही मुखर होना है, 2 जून को सरजी के जेल चले जाने के बाद इंडी के दावे के अनुसार सरकार तो इंडी की ही बन रही है लिहाजा उसमें हिस्सेदारी भी आपको ही करनी है. सोनिया जी आपके सजाए मंच पर अवतरित होती हैं और वो उस सशक्तिकरण की मिसाल हैं कि उनके इशारे पर सरकारें कैसे चल जाया करती थीं, इसलिए आपसे न्याय की गुहार लगाना गलत भी नहीं होगा. कुछ लोग वे भी हैं जो कह रहे हैं कि स्वाति कौन कम शातिर हैं तो उनको जवाब यही है कि सरजी ने शातिरों की मंडली ही तो जमा की है और जिनमें जरा भी शातिराना चालें चलने का माद्दा न था वे सभी बाहर कर ही दिए गए क्योंकि यहां तो शातिर होने के ही ईनाम मिलने थे. सवाल मालीवाला का नहीं है, सवाल है आपके राजमहल की साजिशों का. यह समझाने वाले भी कम नहीं हैं कि नंबर दो प्रचारक मेडम में जरा भी गैरत होती तो वो अपने पति को उन राहों पर जाने से मना करतीं जिन पर चलकर वे शराब से लेकर टिकट बेचने तक के दलाल होकर रह गए, ऐसा कोई आरोप नहीं है जो सरजी आज न झेल रहे हों चाहे वो भ्रष्टों को बचाने की बात हो या शराब से घर बर्बाद करने वाली नीतियां बनाने की और मनीष जैसों को बलि का बकरा बनाने से लेकर खालिस्तानियों के लिए काम करने तक… आप चाहतीं तो उन्हें भी गलत रास्तों पर जाने से रोक देतीं और कम से कम बेटे की कंपनी से जिम के सामान का किराया वसूली जैसे मामले पर तो जरुर मुखर होतीं कि आप भले जो काला पीला करो लेकिन बच्चे को तो बख्श दो, लेकिन आपने हमेशा उनका साथ दिया… इस सबके बावजूद हमें आपसे उम्मीद है कि आप अपने परिवार में किसी ऐसे विभव कुमार को नहीं पनपने देंगी, भले आप स्वाति को नापसंद करती हों लेकिन उसकी आपके घर में हुई पिटाई के लिए खुलकर सामने आएंगी, हमें उम्मीद है कि आप जितना मासूम चेहरा बनाकर रैली करती हें उतनी मासूमियत से कभी सच में सच को सच कहने की हिम्मत करेंगी और हां, केजरीवाल जी को बढ़ी हुई शुगर के बाद भी आम और आलू के पराठे ज्यादा नहीं खिलाएंगी.