Robert Vadra के दिल के अरमां का क्या हुआ
गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा कई बार अपनी राजनीति में आने की इच्छा जता चुके हैं और यह कत कह चुके हैं कि अमेठी की जनता उन्हें अपना प्रतिनिधि चुनना चाहती है. इतने खुले बोल देने के बाद भी कांग्रेस ने अमेठी से उनकी जगह ‘विश्वस्त’ के एल शर्मा को न सिर्फ उतार दिया बल्कि उनके लिए कड़ी मेहनत भी की. वाड्रा ने यह भी कहा था कि सिर्फ अमेठी नहीं बल्कि वे हरियाणा कीकिसी भी सीट से चुनाव जीतने का माद्दा रखते हैं लेकिन कांग्रेस की अंदरुनी राजनीति और उनकी गड़बड़ रिपोर्ट के चलते उन्हें कहीं से टिकट नहीं दिया गया. वाड्रा इतने सब के बाद भी उम्मीद लगाए बैठे थे कि राहुल दो जगह से चुनाव लउ़ रहे हैं और स्वाभाविक तौर पर उन्हें एक सीट खाली करनी होगी, ऐसे में उनके लिए रायबरेली बढ़िया ओपनिंग वाली सीट हो सकती है लेकिन इस बार फिर वाड्रा को खाली हाथ रहने की संभावना दिख रही है क्योंकि अभी तो कांग्रेस इसी बात पर सस्पेंस रखना चाहती है कि राहुल वायनाड़ छोड़ेंगे या रायबरेली. हालांकि आखिर में उन्हें रायबरेली सीट ही छज्ञेड़ना है क्योंकि दक्षिण में वो अपनी पकड़ मजबूत बनाना चाहते हैं जबकि रायबरेली में उनकी पकड़ पहले से ही बेहतर मानी जाताी है. कांग्रेसी खेमों में अब तक रायबरेली के खाली होने पर उपचुनाव में उतारे जाने वाले जिन चेहरों के नाम चल रहे हैं उनमें वाड्रा का नाम कहीं नहीं है हालांकि उनकी पत्नी प्रियंका को संभावित उम्मीदवार माना जा रहा है. राॅबर्ट वाड्रा पिछले तीन चुनावों से अपनी राजनीतिक पारी शुरु होने की घोषणा करना चाह रहे हैं लेकिन हर बार गाड़ी कहां अटक जाती है पता ही नहीं चलता. इस बार तो उन्होंने अमेठी के लिए दबाव भी बनाया लेकिन वह भी काम नहीं आया. वाड्रा अभी भी उपचुनाव की उम्मीद लगाए बैठे हैं लेकिन उनका नाम आगे करने वाला कोई दूसरा है ही नहीं, वे खुद कब तक अपने ही परिवार में अपना नाम आगे करते रहें.