August 6, 2025
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Puri जगन्नाथ मंदिर रत्न भंडार के राज अब खुल सकेंगे

अरबों की संपत्ति और जिम्मेदारों ने कह दिया चाभी गुम गई

पुरी जगन्राथ मंदिर का रत्न भंडार पिछले छह साल से उस चाबी का इंतजार कर हा है जिससे यहां के ताले खुल सकें और पता लग सके कि यहां क्या क्या बचा है और कितना कुछ गायब हो चुका है. पिछली बार 14 जुलाई 1985 में खुलने के बाद से अब तक यह रत्न भंडार नहीं खोला जा सका है. इसकी वजह बताई जा रही है कि रत्न भंडार की चाभी ही गायब है. इस रत्न भंडार में रखे कीमती सामानों का मूल्य करोड़ों में है. यहां क्या क्या और कितना सामान है इस बात को लेकर हमेशा विवाद रहा है और 1978 के बाद से अब तक तो इसकी गणना ही नहीं हुई है कि यहां सोना, चांदी, हीरा, मूंगा, पन्ना जैसी कीमती धातुओं और रत्नों की कितनी मात्रा है और उनकी कीमत क्या है. 1978 में यहां के सामान की गणना करने भर में 70 दिन का समय लगा था. दरअसल यहां दो रत्न भंडार हैं, एक जिसमें भगवान को दिन प्रतिदिन आभूषित किए जाने वाले जेवरात आदि रखे जाते हैं जबकि दूसरा भीतरी भंडार उन आभूषणों का है जो लंबे समय से प्रभु ने धारण नहीं किए हैं. 2021 में उड़ीसा के मंत्री ने जो मात्रा बताई और जो पहले बताई गई थी उसमें काफी फर्क मिला था. यह भी पता चला था कि इस चाभी की डुप्लीकेट चाभी बना ली गई थी यानी उसके जरिए भी कहीं गड़बड़ हुई है. 2021 में बताई मात्रा के अनुसार पुरी जगन्नाथ भगवान को समर्पित वस्तुओं से भरे रत्न भंडार में 12,831 तोला सोना व सोने के आभूषण थे, लगभग 25 किलो चांदी और अन्य कीमती सामान के अलावा यहां कई बहुमूल्य रत्न भी रखे हें जिनका कभी मूल्यांकन नहीं किया जा सका. उड़ीसा के चुनाव प्रचार में गए पीएम मोदी ने भी रत्न भंडार के मामले का जिक्र किया था और इसे लेकर सरकार पर सवाल उठाए थे. चाभी खोन की बात भी तब सामने आई जब सरकार ने 12 वीं शताब्दी में बने इस मंदिर की संरचना की भौतिक जांच के लिए चाभियां मांगीं. इसे लेकर चुनावी बातें भी होती रहीं और बाकी प्रक्रियाएं भी चलती रहीं. चाभी खोने को लेकर न्यायिक आयोग का गठन भी किया गया था. अब उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश के अनुसार पूर्व न्यायाधीश की अगुवाई में 12 सदस्यीय आयोग का गठन किया गया है जिसकी निगरानी में मंदिर के रत्न भंडार के खुलने की संभावना है.