Indore Congress की इन बातों पर भी ध्यान दीजिए
अक्षय कांति ने कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर नामांकन भरा लेकिन वापस लेने के आखिरी क्षणों में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया और कांग्रेस की इंदौर से सारी चुनौती ही समाप्त कर दी. कांग्रेस पर यह बम फेंककर अक्षय ने भाजपा के कुछ नेताओं को डिनर पर बुलाया और इस दौरान माजरा यूं सामने आया कि अंदर भाजपा वालों के साथ अक्षय हंसते हुए खाना खा रहे हैं और बाहर कांग्रेस वाले विरोध के नारे लगा रहे हैं. इस बीच एक और वीडियो वायरल हुआ जिसमें कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र यादव कहते नजर आ रहे हैं कि मैंने पहले ही कहा था यह भाग जाएगा, पैसे लेकर टिकट क्यों देते हो? भाजपा ने यादव की यह बात पकड़ ली और अब बात आगे बढ़ती जा रही है कि क्या वाकई कांग्रेस में टिकट पेसे लेकर और उम्मीदवार की जेब देखकर दिए जाते हैं? पिछले कुछ समय का ट्रेंड देखकर अक्षय को मिले टिकट का विश्लेषण करें तो जवाब हां में आता है.. याद कीजिए कि ज्यादा समय नहीं हुआ जब विधानसभा में एक नंबर विधानसभा से एक टिकट जारी हो गया लेकिन फिर एक रोड़पति ्रपत्याशी दिल्ली गए और अगले दिन टिकट बदल कर उनके खाते में चला गया. यह बात अब तक दबी जुबान में बोली जाती थी कि सत्यनारायण पटेल हर बार सिर्फ इस वजह से टिकट पा जाते हैं कि उनके हेलीकॉप्टर का और उनकी तिजोरी का पार्टी जमकर इस्तेमाल करती रहती है. यह अलग बात है कि इस बार उन्होंने खुद ही टिकट लेने से मना कर दिया. टिकट खरीद लाने वाले भी खुशी खुशी यह बात अपने नजदीकी दायरे में कहते पाए जाते रहे हैं लेकिन आज तो एक ही दिन में दो बार यह बात सामने आ गई. अक्षय ने कांग्रेस छोड़ते हुए यही कहा कि मैं टिकट खरीदकर लाया था या कहें पैसे से लिया था और उधर इस घटना से नाराज कार्यवाहक अध्यक्ष देवेंद्र यादव ने कथित तौर पर जीतू पटवारी को फोन पर यह कह डाला कि क्यों पैसे लेकर टिकट देते हो. यदि वाकई ये बात देवेंद्र ने जीतू से कहीं हें तो कहा जा सकता है कि वे आलाकमान से सिर्फ एक कदम दूरी तक अपनी बात पहुंचाने में सफल हो गए हैं. जीतू पटवारी ने जिस तरह आज प्रेस कांफ्रेंस की उसमें इस सवाल की काफी गुंजाइश ळथी और इसके जवाब के लिए तो घंटे भर का समय भी दिया जा सकता था लेकिन न सवाल पूछा गया और न जवाब ही दिया गय लेकिन अब यह बात आम कांग्रेसी खुलकर कह रहा है कि अब पार्टी में मेहनत करने वालों की जगह सिर्फ उन्हीं की पूछपरख रहि गई है जिनकी जेबें भरी हुई हैं, भले वे पार्टी के लिए एक पल भी सोचने को तैयार न हों लेकिन पार्टी उन्हें टिकट देने को तैयार है क्योंकि वे मुंहमांगा पैसा दे सकते हैं और चुनाव में खर्च भी कर सकते हैं.