August 6, 2025
ट्रेंडिंग

Hizbollah के 1000 रॉकेट लांचर नष्ट किए इजराइल ने

पेजर, वाकी टॉकी विस्फाेटों के बाद और भी डिवाइस फट रहीं

लेबनान में पहले पेजर और फिर वॉकी टॉकी के बाद जब इजराइल को पता चला कि हिजबुल्ला हमले की प्लानिंग कर रहा है तो इजराइल ने 100 से ज्यादा लांचर्स और भारी मात्रा में गोलाबारूद को नष्ट कर दिया. हिजबुल्ला के लिए यह दोहरा झटका है क्योंकि पेजर, वॉकी टॉकी और मोबाइल फटने से उसका संगठन बुरी तरह प्रभावित हुआ है.अब तो सोलर पैनल्स में भी विस्फोट की खबरें आईं और कमोड से लेकर स्मार्ट टीवी, एयर कंडीशनर, फ्रिज और कारों के इंफोटेनमेंट सिस्टम तक में विस्फोटों की खबरें दर्ज हो रही हैं.

हिजबुल्ला ने अपने संगठन वालों को मोबाइल से बचने की चेतावनी पहले ही दे रखी थी, जब पेजर धमाके हुए तो उसने पेजर्स फेंकने की सलाह दी, जब वॉकी टॉकी में भी विस्फोट होने लगे तो उसका पूरा तंत्र चरमरा गया क्योंकि यह पूरा संगठन पकड़ में न आने के उद्देश्य से इन्हीं तकनीकों का इस्तेमाल कर रहा था. हिजबुल्ला ने कहा है कि ऐसे विस्फाटों से इजराइल ने उससे सीधे युद्ध का ऐलान कर दिया है और वह इनका बदला लेगा लेकिन सच यह है कि हिजबुल्ला के लिए यह बड़ी मुश्किल इसलिए है क्योंकि उसके संगठन के लोग गुप्त तरीके से आम लोगों के बीच रहकर काम करते रहते हैं लेकिन इन धमाकों ने न सिर्फ उसकी क्षमता घटा दी है बल्कि उसके संगठन वालों को सार्वजनिक तौर पर उजागर भी कर दिया है. जिन कंपनियों के पेजर या वॉकी टॉकी बताए जा रहे हैं वो कह रही हैं कि हमने तो इन्हें बनाना कब से बंद कर दिया है यानी हिजबुल्ला यह तक नहीं समझ पा रहा कि वह जो सामान मंगा रहा है वह कंपनियां उसे भेज रही हैं या उसे सीधे विस्फोट होने वाली डिवाइस फर्जी कंपनियां दे रही हैं. ईरान और हिजबुल्ला बार बार इस सबमें इजराइल का नाम तो ले रहे हैं लेकिन सबूत मांगने पर उनके हाथ में कुछ नहीं होता. हिजबुल्ला का कहना है कि यह पैटर्न इजराइल का ही है क्योंकि वह 1972 से ऐसे कांड कर रहा है जब महमूद हमशारी नाम के पीएलओ कमांडर को पेरिस में लैंडलाइन फोन के निचले माइक्रोफोन लगाकर रिमोट ट्रिगर से उसे उड़ा दिया गया था. अंतर राष्ट्रीय स्तर पर सिर्फ इतना कहना कि यह पैटर्न इजराइल का ही है, पर्याप्त नहीं होगा.

हद यह है कि इजराइल के दुश्मन गलतियों से सबक नहीं लेते. यूं भी आधुनिक दुनिया में संचार उपकरणों के बिना रह पाना मुश्किल ही है और आप जैसे ही आधुनिक संचार उपकरण का इस्तेमाल करते हैं तो उसके हैक होने की संभावना भी उतनी ही बढ़ती जाती है. जिन्हें लगता है कि वे पुरानी तकनीक से काम चला सकते हैं वे पीछे जाते जाते पैदल धावकों से संदेश पहुंचाने तक की दिशा में जा सकते हैं लेकिन यदि आप आप आगे बढ़ने का सोचते हैं तो यह तरीका कारगर नहीं होता. पेजर 1949 में बनी तकनीक थी हालांकि इसका ज्यादा इस्तेमाल नब्बे के दशक में हुआ. आतंक फैलाने वाले जिन लोगों को लगता है कि वे पुरातन तकनीक के जरिए काम चलाते रह सकते हैं यह उनके लिए सबक है कि ऐसे भरोसे से आपका अस्तित्व ही संकट में आ सकता है.