Google ट्रंप पूछें तो कमला हैरिस दिखा रहा
पिछले चुनाव में अमेरिका, फिर फ्रांस और अब वेनेजुएला…सवाल बढ़ते जा रहे हैं
फेसबुक ने इस बात के लिए माफी मांगी है कि उसने गलती से ट्रंप के वे फोटो बैन कर दिए जिस समय उन्हें गोली लगी थी और उनके कान के पास से खून निकल रहा था. यदि इसे आप गलती समझकर माफ कर देना चहते हैं तो आपकी मर्आजी वरना समझिए कि पैटर्न आपका जाना पहचाना सा ही है. सोरोस ने जब कहा था कि मैं मोदी को हराने के लिए कितना भी पूसा खर्च कर सकता हूं और हर तरफ से कयास मोदी के जीतने के लग रहे थे, इतनी लोकप्रियता, इतने काम और इतनी अचछी पकड़ के बावजूद जो नतीजे आए वो चौंकाने वाले थे, फिर भी मोदी तीसरी बार पीएम बन तो गए लेकिन फ्रांस में जिन ली पेन को जीतने की सभी ने भविष्यवाणी कर दी थी, जो ईयू के चुनाव में बेहतरीन जीत कुछ ही दिन पहले दर्ज करा चुकी थीं वो आश्चर्यजनक रुप से हार गईं. कैसे हुआ कोई नहीं जानता, कहा गया रिगिंग हुई लेकिन नतीजे तो नतीजे थे.
अब वेनेजुएला में भी यही पैटर्न सामने आया है, हवा कुछ और दिख रही थी, संभावनाएं कुछ और कह रही थीं और जमीनी हकीकत जानने वालों के दावे कुछ और ही थे लेकिन जो नतीजे आए वो चौंकाने वाले थे.इन नतीजों पर अब तक ले दे चल ही रही है और अब अगले चुनाव अमेरिका के हैं. ट्रंप की जीत सुनिश्चित बताई जा रही थी और बिडेन ने पीछे हटने की घोषणा कर दी. अब कमला हैरिस को लेकर जिस तरह दावे जारी हैं उनसे साफ है कि यह सबसे बड़ा और चौंकाने वाला चुनाव हो सकता है.एलन मस्क ने तथ्य सामने रखे कि यदि आन ट्रंप के नाम को तलाश्ने के लिए डोनाल्ड सर्च करें तो आपको डज्ञेनाल्ड डक का विकल्प तो गूगल पर दिखेगा लेकिन ट्रंप नजर नहीं आएंगे.
यूट्यूब पर भी यदि आप ट्रंप के भाषण तलाशें तो आपको कमला हैरिस के भाषणों की भरमार नजर आएगी यानी सीधे यूट्यूब और गूगल पर आरोप है कि वे चुनावों में एक पार्टी बन चुके हैं.ठीक यही दृश्य तब देखा गया था जब भारत में चुनाव चल रहे थे और सोशल साइट्स धड़ाधड़ एक पक्ष को ब्लॉक कर रहे थे या रीच कम कर रहे थे और दूसरे पक्ष को खूब बढ़ावा दे रहे थे.इस सबका मतलब क्या यह निकाला जाए कि दूसरे देशों में जिनमें भारत भी शामिल है, ये बड़ी कंपनियां प्रयोग कर रही थीं और वे प्रयोग अमेरिकी चुनावों में बड़े पैमाने पर सामने नजर आने वाले हैं. यदि आप मान कर चल रहे हैं कि सोशल साइट्स या गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसे बड़े खिलाड़ी सिर्फ वही कर रहे हें जितना वे दिखा रहे हैं तो आप गलत हैं. फेसबुक से लेकर ट्विटर तक सभी इतने बड़े राजा महाराजा हो चुके हें और उनकी रिसायतें इतनी बड़ी हो गई हैं कि देशों की सत्ताएं तक इनके खिलौने हो चुके हैं.
जरा देखिए कि फेसबुक आपको कहां कहां और किस हद तक आप पर रोकटोक लगाते हैं या यूट्यूब से लेकर गूगल तक कैसे अपनी मर्जी चलाकर आपको इस यया उस तरफ धकेलते हैं. इस मामले में आप एलन मस्क को भी नहीं बख्श सकते कि उन्होंने ट्रंप के समर्थन में एक तरह से अभियान ही छेड़ दिया हे लेकिन एक बात के लिए उनकी तारीफ भी करनी होगी कि वे खुलकर खेल रहे हैं और कम से कम अभी तक तो उन पर यह आरोप नहीं लगा है कि वे किसी दूसरे पक्ष की रीच खत्म कर रहे हों या राजनैतिक कारणों से उनकी सोशल साइट एक्स अब एकतरफा हो चुकी हो. पिछले कुछ समय में हुए चुनावों का पैटर्न जो बता रहा है उससे तो यही लग रहा है कि कमला हैरिस को जिताने के लिए दुनिया की वो ताकतें लगी हुई हैं जो जीतने के अलावा कुछ पसंद ही नहीं करती हैं. पिछली बार ट्रंप को हराने और डमी जैसे बिडेन को राष्ट्रपति बनाने में भी इन्हीं अदृश्य ताकतों की ताकत लगी हुई थी और बिडेन के प्रेसिंडेंट रहते इन्हें डमी के सहारे अपनी सत्ता चलाने की ऐसी आदत पउ़ चुकी है कि वे कमला हैरिस को जितवाने और ट्रंप को हरवाने के लिए किसी हद तक चले जाएंगे.