August 6, 2025
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Ganesh Utsav गणपति और उनके छुपे हुए सूक्ष्म संकेत

गणेशोत्सव पर श्री गणेश के रहस्यों को भी समझें

श्रीगणेश भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग और हर कार्य को निर्विघ्न सम्पन्न कराने वाले देव हैं. प्रतिकूल, अशुभ, अज्ञान एवं दुःख से परेशान मनुष्य के लिये गणेश तारणहार हैं. भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर आरंभ होने वाला गणेशोत्सव दस दिनी उल्लास के साथ आता है. बहुआयामी, लोकनायक चरित्र के धनी, सार्वभौमिक, सार्वकालिक एवं सार्वदैशिक लोकप्रियता वाले देव श्री गणेश की संपूर्ण संरचना का विश्लेषण कर लें तो ही हमारे कई संकट दूर हो जाएं, इसीलिए उनके स्मरण मात्र का तारक माना गया है. कथा है कि गणेश जी के जन्म पर सभी देवों ने उन्हें आशीष दिए. विष्णु से ज्ञान, ब्रह्मा से यश व प्रथम पूजन, पिता शिव से बुद्धि, शक्ति व संयम का आशीष मिला तो लक्ष्मी से धन संपन्नता, सरस्वती से वाणी, स्मृति एवं वक्तृत्व के आशीष मिले. गणेशजी की आकृति के आध्यात्मिक संकेतों को समझने का प्रयास करें. क्षेम व लाभ की कामना बिना शिवत्व के संभव नहीं इसलिए वे शिवपुत्र हैं. गजानन में ‘गज’ शब्द के दो व्यंजन में ‘ग’ से गति और गंतव्य का तो ‘ज’ जन्म से संबद्ध है. अर्थात् गज शब्द उत्पत्ति और अंत के संकेत में बताता है कि जहाँ से आये हो वहीं जाना तय है. प्रथम पूजित गणपति सुख-समृद्धि, वैभव एवं आनंद के अधिष्ठाता हैं. स्कंद पुराण के अनुसार वे विघ्नहर्ता हैं. श्रीगणेश के आगमन का दस दिवसीय पर्व हमें कई तथ्यों पर सोचने का भी मौका देता है और उसमें सबसे पहली बात तो यही कि श्रीगणेश की शारीरिक रचना के पीछे क्या व्यापक सोच रही है. हाथी को कुशाग्र बुद्धि ही नहीं धीर, गंभीर, शांत और स्थिर चित्त भी माना जाता है. हाथी की आंखें आनुपातिक तौर पर छोटी होती हैं और उनके भावों को समझ पाना कठिन है. दरअसल गणेश तत्ववेत्ता के आदर्श रूप हैं. ‘गण’ यानी जन के नेता में गुरुता और गंभीरता आवश्यक है. उनका लंबोदर गोपनीयता, बुराइयों, कमजोरियों को स्वयं में समाविष्ट कर लेने की शिक्षा देता है तथा सभी प्रकार की निंदा, आलोचना को अपने उदर में रख कर अपने कर्तव्य पथ पर अडिग रहने का संदेश देता है. छोटा मुख कम, तर्कपूर्ण तथा मृदुभाषी होने का द्योतक है.

गज मुख पर कान भी बताते हें कि शासक जनता की बात को सुनने के लिए तत्पर रहे. शासक को हाथी की ही भांति शक्तिशाली एवं स्वाभिमानी होना चाहिए. हाथी की सूंड उसे न झुकने की प्रवृत्ति में मदद करती है. अनंतकाल से अनेक नामों से गणेश दुख, भय, चिन्ता इत्यादि श्रीगणेश हरते रहे हैं. विश्वकर्ता की पुत्रियां ऋद्धि-सिद्धि गणेशजी की पत्नियाँ हैं. सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नाम के दो पुत्र हैं. जहां भगवान गणेश विघ्नहर्ता हैं तो उनकी पत्नियां ऋद्धि-सिद्धि यशस्वी, वैभवशाली व प्रतिष्ठित बनाने वाली होती है. वहीं शुभ-लाभ हर सुख- सौभाग्य देने वाले हैं.