Buddha Jayanti गौतम से बुद्ध और तथागत बनने का सफर
80 वर्षीय जीवन के अंतिम 45 वर्षों में बुद्ध ने दुनियाभर में उपदेश देते हुए बौद्ध धर्म का प्रचार किया इसमें उनका अंतिम उपदेश विवेकपूर्ण प्रयास का था. जब न बुढ़ापा है, न कोई भय, न चिन्ता, न जन्म, न मृत्यु और न ही कष्ट और यह तभी संभव है, जब मनुष्य का मन संयमित हो, मन को साधना सबसे बड़ी साधना है. वैशाख मास की पूर्णिमा ‘बुद्ध पूर्णिमा’ के रूप में मनाई जाती है. 563 ईस्वी पूर्व इसी दिन लुंबिनी में गौतम शाक्य वंश में जन्मे थे. इसी दिन 35 वर्ष में उन्हें बोध गया में बोधिवृक्ष के नीचे बुद्धत्व प्राप्त हुआ. वैशाख पूर्णिमा पर ही कुशीनगर में वे दुनिया को छोड़ गए. इन तीनों वजहों से इसे ‘त्रिविध पावन पर्व’ कहा जाता है जबकि इसमें एक और वजह भी इसे खास मानने की है कि इसी दिन बौद्ध धर्म की स्थापना की थी. सिद्धार्थ गौतम कालांतर में सिद्धार्थ गौतम, महात्मा बुद्ध, भगवान बुद्ध, गौतम बुद्ध, तथागत नामों से जाने गए. उनके पिता राजा शुद्धोधन का राज्य कपिलवस्तु हिमालय की तराई था, जो अब नेपाल में है. महामाया प्रसव के लिए मायके जा रही थीं लेकिन रास्ते में ही लुंबिनी वन में ही उन्होंने सिद्धार्थ को जन्म दिया. ज्योतिषीय गणना करने वालों ने कहा कि बालक या चक्रवर्ती सम्राट होगा या महान संन्यासी. संन्यासी वाली बात से राजा चिंतित थे इसलिए उन्होंने सिद्धार्थ को मोह-माया और सांसारिक सुखों की ओर प्रवृत्त करने के लिए संसाधन उपलब्ध कराए लेकिन सिद्धार्थ पर इनका असर नहीं होता था, यह देख
राजा की चिंता बढ़ी कि सिद्धार्थ वैराग्य में न चले जाएं यह सोच तेजस्वी राजकन्या यशोधरा के साथ उनका विवाह कर दिया गया. गौतम के पुत्र का नाम राहुल रखा गया.
एक दिन वे भ्रमण के लिए सारथी छेदक के साथ महल से निकले. इस बीच उन्हें मानवीय दुःख नजर आए जिनके कारणों को जान वे राजमहल छोड़कर पूर्ण संन्यासी बन गए. छह वर्षों तक तक तप के बाद भी उन्हें ज्ञान नहीं मिला तो एक बार उन्होंने संन्यास छोड़ दिया और शिष्यों को भी दूर कर दिया लेकिन एक बार फिर वे तप की ओर प्रवृत्त हुए और शारीरिक स्वास्थ्य तथा मानसिक शक्ति के दम पर चिंतन में लीन हो गए. इस बार सात सप्ताह बाद ही बोधदृष्टि यानी बुद्धत्व प्राप्त हो गया. शिष्यों ने उन्हें ‘तथागत’ कहा, यानी सत्य के ज्ञान की पूर्ण प्राप्ति कर लेने वाला. वह वृक्ष जिसके नीचे उन्हें परम चक्षु मिले वह ‘बोधिवृक्ष’ कहलाया जो बोध गया में है.