Pune Porsche Case में निबंध पर जमानत देने वाले धनावड़े ने कितने नियम तोड़े
जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के डॉ एलएन धनावड़े जुवेनाइल को लेकर अब तक उठ रहे सवालों में एक नया आयाम यह जुड़ गया है कि उन्होंने 300 शब्दों का निबंध लिखकर जिस शराबी लड़के को जाने दिया था उन्हें ऐसा फैसला लेने का अधिकार ही नहीं था. दरअसल धनावड़े का पिछला रिकॉर्ड भी अच्छा नहीं रहा है. वे यहां से पहले रायगढ़ जिले के बालग्राम के ‘SOS’ के बोर्ड में थे, यहाँ उनके होते हुए एक नाबालिग लड़की की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी जिसके बाद इस मामले में सस्पेंड कर दिया गया था. उन्हें कुछ समय बाद इन्हें पुणे भेजा गया और यहाँ ये पुणे बाल कल्याण समिति से जुड़ गए. इसके बाद इन्हें जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड में पद दे दिया गया. एलएन धनावड़े ने जुवेनाइल बोर्ड के सदस्य होने के नाते जो फैसला दिया लेकिन इसमें उन्होंने कई नियमों का पालन नहीं किया था.
नियमों को धता बताकर दी थी जमानत
दरअसल गैर न्यायिक सदस्य होने के नाते उन्हें ऐसे फैसले लेते समय जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के दो सदस्यों का होना जरूरी होता है. इन नियमों को तोड़ते हुए धनावड़े ने मामला अकेले सुना और बिना किसी बोर्ड के दूसरे अधिकारी से संपर्क किए ही निर्णय़ ले लिया और वह निर्णय भी अब तक दिए गए निर्णयों की प्रकृति के ठीक विपरीत और न्याय की अवधारणा के विपरीत था. इसी आधार पर बाद में 22 मई की दोबारा सुनवाई में आरोपित की बेल कैंसिल हुई. एलएन धनावड़े ने जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड का गैर न्यायिक सदस्य होने पर भी शराबी रईसजादे को दो शर्तों पर छोड़ा तो दो शर्तें रखी थीं, पहली कि आरोपित रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस जाकर ट्रैफिक रूल्स जानकर प्रेजेंटेशन बनाए और दूसरा कि वो रोड एक्सीडेंट पर 300 शब्द का निबंध लिखे. इस निर्णय को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई और देशभर में रोष जताया गया, इसके बाद से ही धनावड़े जवाब दउेने से भागते नजर आ रहे हैं.