Indore Congress में अब Damage Control का दौर
एकलपीठ के निर्णय को चुनौती दी कांग्रेस के डमी बनाए गए उम्मीदवार ने
इंदौर लोकसभा की रेस से बाहर होने के बाद कांग्रेस अब डैमेज कंट्रोल में लगी हुई है और इसमें हर वह कोशिश जारी है जिससे पार्टी कम से कम सुर्खियों में तो बनी रही. इसी कोशिश के तहत सबसे पहले तो मोती सिंह पटेल ने हाइकोर्ट की बेंच से आए ऑर्डर को चुनौती दी है और अब यह मामला युगलपीठ के सामने रखा गया है, इससे पहले जो निर्णय आया था वह न्यायाधीश विवेक रुसिया की एकलपीठ से आया था.
अब युगलपीठ के पास गए
मोती सिंह ने कांग्रेस के डमी बतौर पर्चा भरा था और जब अक्षय कांति बम का नामांकन सही पाया गया तो उनका पर्चा खारिज हो गया जबकि मोती सिंह का कहना है कि नामांकन वापसी की आखिरी तारीख तक उनका पर्चा कायम रहना चाहिए था. एकलपीठ ने मामले की सुनवाई में उनकी याचका को खारिज कर दिया था.अब निर्णय को चुनौती देने वाली रिट लगाते हुए मोती सिंह ने इसे एकल बेंच की बजाए युगल बेंच से सुनने का आग्रह किया है.
कॉलेज वाले मामले भी निकले
उधर कांग्रेस ने अक्षय कांति बम की घेराबंदी दूसरे तरह से भी शुरु कर दी है. उनके खिलाफ एक और मामला अदालत पहुंचा है, अप्रैल के पहले हफ्ते में कांग्रेस से टिकट मिलते ही लॉ कॉलेज स्टाफ से धोखाधड़ी और प्रताड़ना के आरोप पर छात्रों के साथ फैकल्टीज ने मोर्चा खोलते हुए EOW और सीबीआई तक से जांच के लिए ज्ञापन दिए थे. एक मामले में तो उन पर धारा 307 बढ़ ही चुकी है और दो अन्य मोर्चों पर भी उनके लिए दिक्कतें हैं. उन पर लॉ कॉलेज की स्टूडेंट ने प्रताड़ित करने के आरोप लगाए थे वहीं कॉलेज ही नहीं दुनिया छोड़ चुके फैकल्टी को काम पर बताकर नेशनल रैंकिंग लेने के आरोप भी उन पर लगे हैं. जिस नेता के साथ बम नाम वापसी के लिए कलेक्टाेरेट गए थे उन्हीं के साथ कुछ समय पहले यह लॉ स्टूडेंट प्रताड़ना की शिकायत लेकर गई थी. मान्यता रद्द करने की बात कहते हुए ज्ञापन EOW में दिया गया था. इसी तरह कॉलेज की पुरानी फैकल्टीज की आेर से भी शिकायत सामने आई है. इन फैकल्टीज का कहना है कि अक्षय ने ऐसे प्रोफेसर जो संस्थान छोड़ चुके थे और एक ने तो सुसाइड ही कर लिया था लेकिन उनके नाम भी नियमित नौकरी पर दिखाकर नेक रैंकिंग व ऑटोनोमस स्टेटस लिया.