Amethi Ticket- Vadra को नहीं मिला, केएल शर्मा होंगे स्मृति ईरानी के सामने
.केएल शर्मा राजीव गांधी के लिए भी थे विश्वसनीय
.रायबरेली से राहुल गांधी
अमेठी को कांग्रेस का गढ़ 2019 तक माना जाता था लेकिन पिछली बार राहुल गांधी को इसी अमेठी में हार का सामना करना पड़ा तो गांधी परिवार का यहां से मोहभंग हो चुका था और पूरे गांधी परिवार में सिर्फ रॉबर्ट वाड्रा ही थे जो बार बार यहां से चुनाव लड़ने की इच्छा जता रहे थे.इसी के चलते इस सीट पर सस्पेंस काफी लंबा खिंच गया और जब टिकट की घोषणा हुई तो सामने यह आया कि न यहां से राहुल उतर रहे हैं और न प्रियंका,और तो और दामाद जी यानी रॉबर्ट वाड्रा को मांगने के बावजूद टिकट नहीं मिल सका और यहां से प्रत्याशी बनाए गए सोनिया गांधी के सचिव केएल शर्मा. यानी केएल शर्मा को अब केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के सामने चुनाव लड़ना है
अमेठी की सीट को लेकर मोटे तौर पर यह अंदाजा लगाया जा रहा था कि इसे गांधी परिवार छोड़ना पसंद नहीं करेगा क्योंकि रायबरेली और अमेठी लंबे समय तक कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स के लिए पहचाने जाते रहे हैं.चूंकि अब अमेठी की टिकट घोषित हो गई है इसलिए तय है कि राहुल वायनाड के बाद जो दूसरी सीट चुनने वाले थे वह रायबरेली होगी.
वैसे इस पूरे घटनाक्रम को विश्लेषक दूसरे नजरिए से भी देख रहे हैं.पार्टी से लंबे समय बाद निकलने वाले संजय निरुपम ने कबताया था कि पार्टी जिन खेमों में बंटी है उनमें राहुल का खेमा अलग है और प्रियंका के पसंदीदा लोगों की अलग नीति चलती हैं यानी मामला इस बात पर अटका था कि प्रियंका को क्या मिला और सीट घोषित होने पर यह साफ हुआ कि प्रियंका गुट को कुठ नहीं मिल सका.कमाल यह है कि प्रियंका का फोकस यूपी ही है और उन्हें दो बार यहां पर विधानसभा चुनावों को लेकर जिस तरह से जिम्मेदारी एक बार ज्योतिरादित्य सिंधिया के बराबर लाकर और एक बार सत्यनारायण पटेल के बराबर ला कर दी गई उससे यह साफ था कि वर्चस्व वाला राहुल गुट उन्हें कुछ नहीं देना चाहेगा.अब तक प्रियंका पति वाड्रा न लाने कितनी बार अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा सामने रख चुके थे और इस बार तो वे सीटों का नाम ले लेकर टिकट की गुहार कर रहे थे लेकिन उन्हें अमेठी और रायबरेली दोनों ही नहीं दी गईं.वैसे वाड्रा यह भी कह चुके हैं कि उन्हें आलाकमान हरियाणा से भी चुनाव लड़ा सकता है लेकिन आलाकमान के ऐसे इरादे कम से कम अभी तो नहीं लग रहे.
कौन हैं केएल शर्मा
किशोरीलाल शर्मा मूल रुप से लुधियाना पंजाब से हैं और राजीव गांधी के समय से इस परिवार से जुड़े रहे हैं,राजीव गांधी के जाने के बाद भी वे परिवार के प्रति वफादार रहे और अमेठी में सोनियां गांधी का सारा काम संभालते रहे, जब राहुल गांधी के लिए सोनिया ने अमेठी सीट छोड़ी और रायबरेली गईं तो शर्मा को दोनों जगहों को संभालने की जिम्मेदारी दी गई, हालांकि उनके लिए ज्यादा मजबूत सीट रायबरेली होती क्योंकि राहुल के अमेठी आने के बाद उनके कई विश्वसनीय लोग इस सीट पर शर्मा को टक्कर देने के लिए थे लेकिन रायबरेली सीट पर सोनिया के लिए वे एकमात्र संपर्क सूत्र रहे.सोनिया के लिए ही नहीं वे कांग्रेस के लिए भी मैनेजर की भूमिका निभाते रहे हैं और इसी के ईनाम में उन्हें वह सीट दी गई जो दशकों से गांधी परिवार के लिए तयशुदा सीट मानी जाती थी.