Zelensky आखिर झुके, अमेरिका को देंगे कीमती खनिज
20 जनवरी के बाद से ही जेंलेस्की कह रहे थे कि हम झुकने वाले नहीं हैं
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमीर ज़ेलेंस्की आखिर ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के आगे सरेंडर की मुद्रा में आ गए हैं और अमेरिका पहुंचकर व्हाइट हाउस में एक समझौते पर हस्ताक्षर करने को तैयार हो गए हैं जिसके तहत यूक्रेन अपने कई कीमती खनिज अमेरिका को देने का वादा करेगा. ट्रंप ने इस समझौते को “बहुत बड़ा समझौता” बताते हुए कहा है कि अमेरिका ने तीन साल से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध में अपने करदाताओं का बहुत पैसा झोंक दिया है. अब इस समझौते से अमेरिका को यूक्रेन के दुर्लभ खनिज संसाधन मिल सकेंगे जो एयरोस्पेस, रक्षा, ग्रीन एनर्जी और परमाणु उद्योगों में इस्तेमाल होंगे.
यूक्रेन के लाखों टन दुर्लभ खनिज भंडार पर अमेरिका की पहले भी नजर थी लेकिन बिडेन ने ही यूक्रेन को इस हद तक उकसाया था कि वो रुस के साथ युद्ध में कूद पड़े तो बिडेन प्रशासन उन्हें खुले हाथों से सहयोग करता रहा लेकिन सत्ता बदलते ही बाजी भी बदल गई. ट्रंप ने युद्ध में अमेरिका के पैसे खर्च होने की बात कहते हुए न सिर्फ यूक्रेन की सहायता रोक दी बल्कि उससे अब तक के खर्च के बदले खनिज भी मांग लिए जिनकी अनुमानित कीमत खरबों डॉलर है.
कोबाल्ट, लिथियम, तांबा, ग्रेफाइट, निकल, टाइटेनियम और यूरेनियम जैसे कीमतों खनिजों को लेकर ट्रंप ने यूक्रेन पर जिस तरह दबाव बनाया उससे पहले तो जेलेंस्की इंकार करते रहे लेकिन आखिर उन्हें समझ आ गया कि रुस से चल रहे युद्ध के बीच उन्होंने ट्रंप को नाराज कर दिया तो उनकी राहें कठिन से कठिनतर होती जाएंगी, इसीलिए उन्होंने समझौता करने और इसके लिए अमेरिका की यात्रा करने तक की बात मान ली. ट्रंप का कहना है कि इस डील के बदले यूक्रेन को सैन्य उपकरण और आत्मरक्षा का अधिकार दिया जाएगा. हालांकि अमेरिका की इन चालों से यूरोप के कई देश नाराज हैं और वे इस ‘प्रेशर पॉलिटिक्स’को गलत बता रहे हैं. वैसे कुछ लोग तो यह भी सवाल उठा रहे हैं कि जितने माने जा रहे हैं उतने खनिज वाकई यूक्रेन की धरती में हैं भी या नहीं इस बात की भी सही जानकारी नहीं है और यदि कुछ खनिज हों भी तोअमेरिका को बहुत बड़ा निवेश इन खनिजों को पाने के लिए करना पड़ सकता है जो घाटे का सौदा साबित हो सकते हैं.