August 22, 2025
वर्ल्ड

Xi Jinping से पॉवर छीन रही है उन्हीं की पार्टी

जिनपिंग का पॉवर खत्म, अब नए चीफ को तराशा जा रहा
शी जिनपिंग को लेकर बार बार कहा जा रहा था कि वो जिस तरह से बैठकों से किनारा कर रहे हैं उसके पीछे उनकी उनकी अकड़ है लेकिन अब धीरे धीरे हकीकत खुल रही है कि जिनपिंग को इतना कमजोर किया जा रहा है कि उनके हाथ से सत्ता के सारे सूत्र ही चले जाएं और यही वजह है कि उन्हें अंतरराष्ट्रीय बैठकों में जाने से रोकने का काम चीन की सुपर पॉवर कही जाने वाली कम्युनिस्ट पार्टी की सबसे ताकतवर कमेटी ने किया है.

हालत ये है कि जिन मीटिंग्स में शी जाना भी चाहते थे उनमें भी शामिल होने से उन्हें रोक दिया गया जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात भी शामिल है. ब्रिक्स से लेकर व्हाइट हाउस तक के न्यौते को मना करने पर यह माना जा रहा था कि चीन इसके पीछे अपनी ताकत दिखाना चाहता है लेकिन अब पोल यह खुल रही है कि उनकी पार्टी ने ही शी पर से हाथ खींच लिए हैं. चीन में अमूमन यही तरीका अपनाया जाता है कि किसी को एकदम से हटाकर या भगाकर सत्ता नहीं छीनी जाती बल्कि उसके हाथ से सत्ता सूत्र लेकर उसे मिट्‌टी का माधो बना दिया जाता है. अब जो शी के साथ हो रहा है उसके पीछे भी मजेदार वाकिया है, दरअसल कुछ समय पहले एक मीटिंग में शी जिनपिंग अपने पूर्ववर्ती राष्ट्रपति हू जिन ताओ के बगल में बैठे थे लेकिन उन्हें यह बात बुरी लग रही थी कि ताओ को उनके करीब बैठाया गया, उन्होंने एक सहयोगी को बुलाकर जिन ताओ को बेइज्जत करते हुए पास से ही नहीं उठवाया बल्कि हॉल से ही बाहर करवा दिया. बस इसके बाद से ही शी की उलटी गिनती शुरु हो गई. जिन ताओ को पसंद करने वाले कम्युनिस्ट पार्टी में काफी सारे लोग हैं और ये सभी लंबे समय से शी से परेशान हैं. यूं भी नए जियो पॉलिटिकल सीन में पार्टी का नेतृत्व शी का विकल्प तलाश ही रहा था और इस घटना ने यह पूरी प्रक्रिया तेज कर दी. बताया जा रहा है कि अब कम्युनिस्ट पार्टी ने अब शी को टाटा बाय बाय करने की नीति के चलते ही उनकी विदेश यात्राएं ही नहीं रोकी हैं बल्कि उनकी नीतियों पर विरोध करने वालों को प्रमोट करना भी शुरु कर दिया है. शी की जगह लेने के लिए जेंग जोशिया के हाथ लगातार मजबूत किए जा रहे हैं और वांग येंग को कमान सौंपने की तैयारी शुरु कर दी गई है. दरअसल चीन की विदेश नीतियां जिस तरह से शी चला रहे हैं उससे कम्युनिस्ट पार्टी का एक बड़ा धड़ा नाराज है और यह बात तो असंतोष का कारण है ही कि शी ने अपने सारे विरोधियों ही नहीं बड़े उद्योगपतियों तक को किनारे करने में रियायत नहीं की. चीन का यह पॉवर शिफ्टिंग गेम ही है जिसको भांप कर शी भारत में गड़बड़ियां करवाते हुए सेना पर अपनी पकड़ बताना चाहते रहे और बार बार ताईवान को कब्जाने की भी धमकियां देते रहे. कहा जा रहा है कि यह सब शी ने कम्युनिस्ट पार्टी को यह बताने के लिए ही किया कि उनकी पकड़ कितनी मजबूत है लेकिन अब पार्टी उन्हें यह बताने पर उतर आई है कि उसके आगे शी जिनपिंग कुछ भी नहीं हैं.