WWE Fight वाले ट्रंप और 90 दिन की मोहलत
- आदित्य पांडे
ट्रंप की हर चाल के पीछे कोई स्क्रिप्ट नजर आ रही है और अभी तक तो नाटक उनके हिसाब से चल रहा है
आखिर ट्रंप ने रेसिप्रोकल टैरिफ वाले मामले पर उन देशों को तीन महीने की ही सही राहत दे दी है जिन्होंने जवाबी टैरिफ लगाने की जल्दबाजी नहीं दिखाई थी. इस बात के सामने आने के बाद से मरते- गिरते जा रहे शेयर बाजार एकदम रॉकेट बन गए, ट्रंप के विरोधियों के चेहरे पर मुस्कान आ गई कि आखिर हमारा कहना सच हो गया कि ट्रंप को झुकना पड़ेगा लेकिन इसी जगह पेंच है. दरअसल आप ट्रंप के अतीत में झांकें तो पता चलेगा कि वो डब्ल्यूडब्ल्यूई जैसी नकली फाइट्स के बादशाह भी रहे हैं. रिंग में आपको कोई पिटता नजर आता है और कोई पीटता दिख रहा होता है लेकिन दर हकीकत यह सब स्क्रिप्ट का हिस्सा होता है. एक सवाल यह हो सकता है कि पिछले कार्यकाल में इस नकली फाइट के बादशाह को क्या हो गया था और जवाब सीधा है कि ओबामा, क्लिंटन एंड टीम का जो कॉकस था उसने ट्रंप को पिछली बार प्रेसिडेंट की सील से ज्यादा कुछ होने ही नहीं दिया था, जैसे कि लंबे समय तक सत्ता पलट के बाद भी भारत में एक वाक्य अक्सर सुनाई देता था ‘सत्ता भले आपकी हो, सिस्टम तो हमारा है…’
इस बार ट्रंप पूरी तैयारी से आए थे और इस तैयारी से आए थे कि डीप स्टेट को शुरुआती सौ दिनों में ही मजा चखा दिया जाएगा. अब आप पिछले कुछ समय में हुए घटनाक्रम को इसी नजरिए से देखिए. चूंकि अधिकतर मीडिया ट्रंप से नफरत ही करता रहा है इसलिए वह खोज खोज कर ऐसी स्टोरी करता रहा कि मस्क से ट्रंप नाराज हो गए या इससे उलट कुछ. ऐसी रिपोर्ट्स ही छन छनकर और अलग अलग भाषाओं में अनूदित होकर हम तक पहुंचती रहीं लेकिन यदि सिर्फ मस्क और ट्रंप वाला मामला ही देखें तो पता चलेगा कि यह सब दिखावे की लड़ाई से ज्यादा कुछ नहीं था. जिस ऑल्टमैन के साथ कभी मस्क एआई पर काम कर रहे थे, उनके बीच दरार की खबरें आईं. दोनों ने एक दूसरे पर दिखावटी हमले भी किए लेकिन ट्रंप ने मस्क को DOGE दे दिया और ऑल्टमैन को एआई वाली कमेटी का चीफ बना दिया. दोनों मजे से काम कर रहे हैं. ठीक यही बात टैरिफ वाले मामले पर लागू होती है. ट्रंप ने डेडलाइन दी, देशों के रिएक्शन देखे, अमेरिका के फायदे नुकसान का हिसाब लगाने लोगों को बैठा दिया और जैसे ही पता चला कि कुछ देश अमेरिका की सत्ता को चुनौती देते हुए रेसिप्रोकल टैरिफ पर रेसिप्रोकेल रिएक्शन दे रहे हैं, तुरंत उन्हें चिन्हित कर लिया गया. अब इन देशों को अपने हिसाब से सबक सिखाने और उसी के अनुसार नीति बनाए जाने के रास्ते खुल गए. जहां तक तीन महीने की मोहलत का सवाल है तो यह भी ट्रंप की बड़ी जीत है कि जो काम सालोंसाल से टल रहा था, उस पर इतनी तेजी से एक्शन-रिएक्शन सब ले लिया गया. ऐसे में ट्रंप का वह चेहरा याद कीजिए जिसमें वे रिंग में अपने विरोधियों पर सीधे पंच मारने से भी बाज नहीं आते हैं. ट्रंप का यह ट्रैप काम कर गया है. जिन्होंने कड़े लहजे में बात रखी है उनके लिए रास्ते अब तंग किए जाएंगे, जिन्होंने समझौते की राह ली है वे थोड़े नुकसान के साथ ही सही अमेरिका के साथ काम करते रहेंगे और जिन्होंने टैरिफ शून्य करने पर सहमति दे दी है उनके लिए नश्चित ही ट्रंप के पास कई ईनामी योजनाएं भी होंगी. भले ही यूरोपीय यूनियन सहित कुछ देश कसमसा रहे हों कि ट्रंप का ‘राष्ट्र प्रथम’ यानी MAGA (मेक अमेरिका ग्रेट अगेन) दुनिया के लिए गड़बड़ नीति है लेकिन यह तय मानिए कि अमेरिका की बदहाल अर्थव्यवस्था और चौधरी बनने की जिद में बर्बाद होने की स्थिति तक आ जाने वाली हालत में इसी दवा की जरुरत थी. चीजों के दाम बढ़ने की जो तेज गति नजर आ रही थी उसे भी इन नब्बे दिनों में रोकने की कोशिश कर ली जाएगी और उसके बाद ट्रंप का MAGA तेज गति से बढ़ेगा. इन नब्बे दिनों में ट्रंप के दावे के मुताबिक यदि 75 देश न सही 50 ही टैरिफ समझौता कर लेते हैं तो मानकर चलिए कि यह किसी भी अमेरिकी राष्ट्रपतिह के हिसाब से यह बड़ी डील होगी. हालांकि ट्रंप का रास्ता आसान नहीं होने वाला है और इसकी दो वजहें साफ हैं, पहली तो यही कि खुद अमेरिका कुछ बनाता नहीं है और जब तक अमेरिका चीजों के मामलों में आत्मनिर्भर नहीं होता तब तक का समय उसके लिए भारी होगा. दूसरी बात यह कि चीजों की बढ़ती कीमतें कट्टर से कट्टर ट्रंप समर्थक को भी विचख्लित कर सकती हैं क्योंकि असर ब्रेड और अंडे तक पड़ा है. ऐसे में ट्रंप की यह नब्बे दिन की रियायत वाला समय खुद उनके लिए काफी महत्व का होगा. आज अमेरिका इस कदर आयात पर निर्भर है कि चीन पर 104 प्रतिशत के टैरिफ के बाद मार्केट की हालत पूरी तरह बदल जानी है. यदि ट्रंप चाहें तो इस समय भारत की एक घटना से सबक ले सकते हैं जब महज प्याज की कीमतों के चलते एक अच्छा काम कर रही सरकार गिर गई थी. वजह थी लोगों में नाराजगी थी, प्याज को लेकर निर्णायक मोनोपली एक विरोधी खेमे के नेता के पास थी और इस गठजोड़ ने प्याज की कीमतों पर सरकार गिरा दी थी. ट्रंप के लिए ठीक वही समय नजर आ रहा है जहां यदि वे पिछले कार्यकाल में हावी रही विरोधी तिकड़ी का हल खोज लेते हैं तब तो वे अमेरिकी इतिहास में खास मुकाम बना जाएंगे लेकिन यदि गधे के चुनाव चिन्ह वाले डेमोक्रेट्स ने ट्रंप को इस बार भी गधा बना दिया तो वे निहायत सनकी राष्ट्रपति साबित हो जाएंगे.