Wimbledon की परंपराओं और नई तकनीक के बीच रस्साकशी
- मयंक मिश्रा
पुर्तगाल के फुटबॉल खिलाड़ी डिएगो जोटा हाल ही में एक कार दुर्घटना में नहीं रहे, उनकी याद में पुर्तगाल के टेनिस खिलाड़ी नूनो बोर्गेस ने विंबलडन में अपनी टी-शर्ट पर काले रिबन के साथ खेलने की अनुमति मांगी थी, हालांकि, विंबलडन के ड्रेस कोड के नियमों के चलते यह अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया था , फिर भी, टूर्नामेंट आयोजकों ने संवेदनशीलता दिखाते हुए नियमों में आंशिक छूट देते हुए बोर्गेस को अपनी टोपी पर काला रिबन लगाने की इजाज़त दे दी. बोर्गेस मैच में यह रिबन पहनकर उतरे, भले ही वे मैच हार गए, लेकिन उन्होंने जोटा को विंबलडन से एक गरिमामय श्रद्धांजलि अवश्य दी.
विंबलडन के नियमों की चर्चा कल केवल इस श्रद्धांजलि को लेकर ही नहीं हुई, बल्कि बेन शेलटन और हिजीकाता के मैच को लेकर भी विवाद हुआ. यह मैच पहले दिन रात के समय तीसरे सेट में 5-4 पर रोक दिया गया था, जब शेलटन सर्विस करने वाले थे. विंबलडन में रात 11 बजे के बाद कोई भी मैच नहीं खेला जा सकता, लेकिन तब समय शेष था और खेल जारी रखा जा सकता था. शेलटन ने मैच रोके जाने पर नाराज़गी जताई थी, और जब अगली सुबह मैच फिर शुरू हुआ, तो उन्होंने मात्र 70 सेकंड में उसे समाप्त कर अपनी नाराज़गी का इज़हार कर दिया.
इस वर्ष विंबलडन में लाइन अंपायरों की जगह पूरी तरह तकनीक का उपयोग शुरू किया गया है, लेकिन खिलाड़ियों का भरोसा अभी तक इस नई टेक्नोलॉजी पर पूरी तरह नहीं बन पाया है. आर्यना सबालेंका और एमा राडुकानु के बीच खेले गए एक कांटे के मैच में कई लाइन कॉल ऐसे थे, जिन पर एमा ने खुलकर असहमति जताई. पहला सेट टाईब्रेकर तक गया, जहाँ हर एक पॉइंट निर्णायक हो सकता था, ऐसे में मशीनों की संभावित गलतियां खिलाड़ियों पर भारी पड़ सकती हैं.विंबलडन की परंपरा और नियम इसके इतिहास का हिस्सा हैं, और विंबलडन के लिए इनको बदलाव के साथ बचाये रखने की चुनौती काफी बड़ी है.