600 साल बाद फटा रूस का ज्वालामुखी, सुनामी का खतरा
आठ रिक्टर स्केल वाले भूकंप के बाद फटे इस ज्वालामुखी ने बढ़ाई सुनामी की चिंता
रूस के सुदूर पूर्वी कामचटका प्रायद्वीप में स्थित क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी ने 600 वर्षों की शांति के बाद अचानक विस्फोट कर दिया. यह ऐतिहासिक घटना शनिवार, 2 अगस्त 2025 को तब हुई जब क्षेत्र में 7.0 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप दर्ज किया गया. वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ज्वालामुखी विस्फोट हाल ही में आए भूकंप से जुड़ा हो सकता है.
विस्फोट की भयावहता
क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी से उठे राख के गुबार ने आसमान को छह किलोमीटर तक ढक लिया. यह ज्वालामुखी कामचटका के क्रोनोट्स्की रिज़र्व के पास स्थित है और इसकी ऊंचाई लगभग 1,856 मीटर है. विस्फोट के बाद राख का बादल पूर्व दिशा में प्रशांत महासागर की ओर फैल गया. हालांकि, राहत की बात यह रही कि इसके रास्ते में कोई आबादी वाला क्षेत्र नहीं था और अब तक किसी जनहानि की सूचना नहीं मिली है.
रूस के आपातकालीन सेवा मंत्रालय ने इस घटना को “ऑरेंज विमानन कोड” दिया है, जो यह दर्शाता है कि यह हवाई परिवहन के लिए संभावित खतरा बन सकता है.
भूकंप और ज्वालामुखी का संबंध
कामचटका वोल्केनिक इरप्शन रिस्पॉन्स टीम की प्रमुख ओल्गा गिरिना ने बताया कि यह विस्फोट हाल ही में आए भूकंप से प्रेरित हो सकता है. भूगर्भीय विज्ञान में यह माना जाता है कि जब पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें हिलती हैं, तब मैग्मा चैंबर्स में दबाव बनता है जिससे ज्वालामुखी सक्रिय हो सकते हैं.
कामचटका प्रायद्वीप “Pacific Ring of Fire” का हिस्सा है, जो दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखीय क्षेत्रों में से एक है. इस क्षेत्र में भूकंप और ज्वालामुखी गतिविधियाँ अक्सर साथ-साथ होती हैं.
सुनामी की चेतावनी और बाद की स्थिति
विस्फोट के तुरंत बाद कामचटका के तीन इलाकों में सुनामी की चेतावनी जारी की गई थी. यह चेतावनी चिली और फ्रेंच पोलिनेशिया जैसे दूरस्थ क्षेत्रों तक भी पहुंची. हालांकि, कुछ घंटों बाद रूस के आपातकालीन मंत्रालय ने यह चेतावनी वापस ले ली और स्थिति को नियंत्रण में बताया.
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी का अंतिम ज्ञात विस्फोट वर्ष 1463 में हुआ था. हालांकि, अमेरिका स्थित स्मिथसोनियन इंस्टीट्यूट के वैश्विक ज्वालामुखी कार्यक्रम के अनुसार, इसका अंतिम विस्फोट 1550 में हुआ था. इस विसंगति को लेकर वैज्ञानिकों में मतभेद हैं, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह विस्फोट सैकड़ों वर्षों बाद हुआ है.
इस ज्वालामुखी का नाम रूसी खोजकर्ता स्टीफन क्रशेनिनिकोव के नाम पर रखा गया है. 1963 में इसमें धुआं-संबंधी गतिविधि दर्ज की गई थी, लेकिन कोई विस्फोट नहीं हुआ था.
वैज्ञानिकों की प्रतिक्रिया
ओल्गा गिरिना ने बताया कि ज्वालामुखी की ढलानों पर लावा डोम का निर्माण हो रहा है और उत्तर दिशा में मौजूद क्रेटर से लगातार भाप और गैस के साथ राख का गुबार निकल रहा है. यह संकेत देता है कि ज्वालामुखी अभी पूरी तरह शांत नहीं हुआ है और आगे भी गतिविधि संभव है.
क्षेत्रीय प्रभाव और सुरक्षा उपाय
कामचटका प्रायद्वीप में स्थित क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद क्षेत्र में सुरक्षा उपाय तेज कर दिए गए हैं. स्थानीय प्रशासन ने पर्यटकों को ज्वालामुखी के आसपास जाने से मना किया है और वैज्ञानिक टीमों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं.
रूस के मौसम विभाग और भूगर्भीय संस्थानों ने लगातार निगरानी जारी रखी है ताकि किसी भी संभावित खतरे को समय रहते टाला जा सके.
निष्कर्ष
क्रशेनिनिकोव ज्वालामुखी का यह विस्फोट न केवल रूस बल्कि वैश्विक भूगर्भीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है. यह दर्शाता है कि पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियाँ कितनी अप्रत्याशित हो सकती हैं. वैज्ञानिक अब इस विस्फोट के कारणों और इसके दीर्घकालिक प्रभावों का अध्ययन कर रहे हैं.
इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि प्रकृति की शक्तियाँ मानव नियंत्रण से परे हैं और हमें इनके प्रति सतर्क और तैयार रहना चाहिए.