June 21, 2025
वर्ल्ड

USA जाने से पहले ये जरुरी बातें भी समझें

अमेरिका से अवैध प्रवासियों को निकाले जाने और इसके तरीके पर बातें चल रही हैं लेकिन प्रवासियों के लिए जरुरी कदम क्या हों इस बात को विस्तार से बता रहे हैं सालों से अमेरिका में ही रह रहे ‘मनजी’

भारत से विदेश जाने की ललक किस किस कारण पर आधारित है?

  • बेहतर कमाई, डॉलर में कमाना रुपए से कमाना बेहतर माना जाता है. ग़लत बात भी नहीं किंतु क्या पचास लाख लगा कर अमेरिका कनाडा में टैक्सी चला कर, मैन्युअल जॉब करके अपनी जवानी के स्वर्णिम वर्ष बर्बाद करके कितना बचा लेंगे?
  • स्टूडेंट बन कर आना, लाखों का इन्वेस्टमेंट कर पढ़ाई करना एक अच्छा माध्यम है, खास तौर पर उनके लिए जिन्हें भारत में अवसर नहीं मिलते ऐसी पढ़ाई के. किंतु यदि ये सोचो कि पढ़ाई के बाद इधर ही नौकरी कर सब वसूल लेंगे – तो बहुत बड़ी ग़लतफ़हमी में जी रहे हो. आजकल स्टूडेंट वीसा से वर्क परमिट लगवाना एक टेढ़ी खीर है, कंपनी की दया पर है कि वो आपका वर्क परमिट फाइल कर दें. मेरे पास ऐसे अनेक बच्चों के प्रोफाइल आते है जो स्टूडेंट वीसा पर है और वर्क परमिट लगवाने के चक्कर में छोटी छोटी कंपनी के मकड़जाल में ऐसा फंसते है कि सालोसाल नहीं निकल पाते.
  • अमेरिका में ग्रीन कार्ड मिलना बहुत लंबी प्रक्रिया है पेचीदा प्रोसेस है, जान निकाल देने वाली. या तो पीएचडी टाइप कुछ किया हो जिस से चार पाँच साल में ग्रीन कार्ड मिल जाये, या इधर विवाह करके. किसी भी आम सॉफ्टवेर इंजीनियर से पूछिए, आपके ग्रीन कार्ड की वेटिंग कितनी है. सुन कर पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी.
  • इधर की सरकार बड़ी दयालु होती है, बेनेफिट्स बड़े अच्छे है, सोशल सिक्योरिटी आदि. इस गलतफहमी में ना रहना. सोशल सिक्योरिटी उसे मिलता है जो पहले इस टैक्स को कई साल लगातार भरता है, तभी वो बुढ़ापे में सोशल बेनिफिट पाने का अधिकारी होता है. मेडिकल फ्री नहीं है, सबसे महंगाई वाला है.
  • जो आपने सोशल मीडिया पे देखा कि लोग मुफ्त केडॉलर उड़ा रहे है, एसाइलम वाले मुख्यतः थे. वो अब सब बंद है.
  • इधर लाइफ स्टाइल मजेदार है, बढ़िया है, कार से लेके घर शानदार है. इस गलतफहमी का सही उत्तर है, लोन पे ली हुई बढ़िया कार चला कर हफ़्ते में पाँच दिन – हर दिन आठ से बारह घंटे जब घिसोगे ना तो वही कार काट खाने को दौड़ेगी. घर भी बढ़िया मिल जाता है किंतु अब तो लोन की ब्याज की दर खूब बढ़ चुकी है.
  • बच्चों को डे केयर में डालने की मंथली कॉस्ट सुन चक्कर में आ जायेंगे. कैलिफोर्निया न्यू यॉर्क आदि के डे केयर के मंथली रेट गूगल करके देखिए जनाब.

यहाँ के ढोल की असलियत और भी है- लेकिन एक बात समझें- अपने बालक को भी समझायें. मेहनत जी तोड़ करनी होगी यदि इधर लीगल तरीके से आ जाओ तो. अब कॉस्ट ऑफ़ लिविंग आसमान छू रही है, रियल एस्टेट हाई है- घरों की क़ीमत पहुँच के बाहर है.

यदि पैसा ज़ियादा है तो यहाँ रहना मजे करना मुफीद है. जीरो से इधर शुरू करने का मतलब होगा अपनी लाइफ को खपा देना.जीवन के गोल्डन वर्ष ऐसे बीतेंगे कि मालूम ना चलेगा. घन चक्कर बन जाओगे .

इधर साफ़ हवा है, अच्छी सड़क है, लाइफ स्टाइल फैंसी है लेकिन सबकी क़ीमत है- जो चुकानी पड़ती है. क़ीमत है – कड़ी मेहनत, हिसाब से खर्च करना, सारे काम ख़ुद करना- कुकिंग से लेके सफ़ाई से लेके झाड़ू आदि सब कुछ. अगर ये सब करना का बूता हो- तो आइये, कलेजा मजबूत करके आना- इंतेज़ार करने की क्षमता लेके आना, अपने परिवार के सुख दुख से परे हो कर आना.

अब सबसे अधिक पूछे जाने वाला सवाल-

यहाँ आकर कमाई कितनी हो सकती है?

इसका उत्तर देने से पहले आपको एक ख़ुद का तजुर्बा सुनाना चाहूँगा-

पिछले वर्ष यूटा राज्य की दस दिन की रोड ट्रिप पर था- वहाँ के वन आदि में कैम्प करते हुए खूब घूमा. एक बेहद रिमोट स्थान पर एक गैस स्टेशन पर रुका. वो एक भारतीय का था और वहाँ एक पंजाबी ढाबा भी था. काम करने वाले सब लड़के पंजाब हरियाणा से थे- जवान बच्चे. वही काम करना वही सो जाना- ट्रक स्टॉप था वो स्थान . कनाडा कैलिफोर्निया आदि सब स्थानों से ट्रक आ कर वहाँ रुक रहे थे- ट्रक चलाने वाले भी सब भारतीय मूल के युवक. मालूम चला वो लोग पंद्रह दिन या दस दिन की ट्रक ट्रिप पर निकलते थे- दो लोग एक ट्रक पर. एक ट्रिप पर इतनी कमाई थी जितनी इधर एक पाँच साल अनुभव वाले आई टी वाले की मासिक पगार. किंतु ढाबे और गैस स्टेशन वाले बच्चे मिनिमम वेज पर – आठ से बारह डॉलर प्रति घंटा किंतु बंधुआ मजदूर की तरह. ये लोग ना डोमेस्टिक फ्लाइट ले सकते है, ना अकाउंट खोल सकते है कुछ नहीं. एक्सिस्ट नहीं करते क्यूंकि इनके पास पेपर नहीं है. अब चूँकि एसाइलम वाले क्लेम डाल कर पेपर हासिल कर रहे है तो ये भीड़ बढ़ती जा रही थी. कुल मिलाकर बेसिक मेनियल जॉब में अकेला आदमी ठीक ठाक बचा लेगा किंतु उसकी सोशल लाइफ की ऐसी की तैसी. ट्रक ड्राइवर पंद्रह दिन रोड पे रहेगा. फिर पाँच दिन घर पर बैठ वीडियो फ़ोटू इंस्टाग्राम पर डालेगा- फिर रोड ट्रिप. कमाई के आँकड़े देके किसी को भ्रमित नहीं करना चाहता – बस इतना समझ लीजिए अकेला आदमी दिन में दस बारह घंटे गधा मजदूरी कर कमा ज़रूर लेगा लेकिन बंधुआ की तरह.

और ये सब देख भारत में बैठे बच्चो युवाओं को लगता है क्या मस्त लाइफ है.

इस ट्रिप पर और वाशिंगटन राज्य ट्रिप पर मैंने भारतीय युवाओं के दिल दहला देने वाले लाइव दर्शन किए थे- कि किस तरह से वे लोग रिमोट जगहों में बंधुआ मजदूर की तरह काम कर रहे है.

लाइफ मुश्किल होती है जब ख़ुद के बीवी बच्चे इधर आकर रहते है- तब कॉस्ट ऑफ़ लिविंग बढ़ती है- सिंगल कमाई कम पड़ने लगती है. अकेला आदमी कमा कर बचा लेगा किंतु उक्त सब से गुज़रना पड़ेगा.

अब सब मुफ़्तख़ोरी, एसाइलम पर मिलने वाला भत्ता, फ्री में ग्रीन कार्ड आदि सब बंद- टोटल क्लोज. अब कहानी असली शुरू हुई है. पिछले चार साल में ये सब पीक पर था.

अगले पोस्ट में लीगल वीसा वाले लोगों की व्यथा और उनकी स्केल रेंज!