USA Diary ट्रंप के पास तुरुप के कौन कौन से पत्ते हैं
अमेरिका में ट्रंप राज में चल क्या रहा है
यूएसए से ‘मनजी’

सबसे पहले कॉर्पोरेट वर्ल्ड की एक इंपोर्टेंट प्रक्रिया zbb यानी जीरो बेस्ड बजट को समझें. जब एक कंपनी में खर्च नियंत्रण से बाहर हो जाते हैं, तो पूरी कंपनी को शून्य आधारित बजटिंग प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. इस कहते है जीरो बेस्ड बजट- zbb! कंपनी में मूल रूप से हर एक खर्च का औचित्य साबित करना होता है. और फिर आप बहुत सारे खर्चों में कटौती करते हैं, और फिर से जोड़ते हैं जब आप एक उचित ZBB चक्र से गुजरते हैं. अमेरिकी सरकार इस समय एक ZBB प्रक्रिया से गुजर रही है. और यह आवश्यक है क्योंकि खर्च नियंत्रण से बाहर हैं.उदाहरण के तौर पे-पिछली अमेरिकी सरकार जिसने गलती से तालिबान को सैकड़ों मिलियन डॉलर भेज दिए, वही से इधर की वित्तीय गड़बड़ के संकेत मिलने लगे थे. यह एक अंतर्निहित आपदा का संकेत है. यह संसाधनों के खराब प्रबंधन का संकेत है. वास्तव में, यह एक आपदा है. पिछले 20 वित्तीय वर्षों में, अमेरिकी सरकार ने लगभग $2.7 ट्रिलियन “अनुचित भुगतान” किए हैं, अमेरिकी सरकारी जवाबदेही कार्यालय के अनुसार. ट्रिलियन! टी के साथ! एलन मस्क वही कर रहे हैं जो कोई भी कार्यकारी एक विशाल गड़बड़ी में प्रवेश करते समय करेगा. आप ZBB करते हैं और फिर पुनः निर्माण करते हैं. कुछ राज्य ZBB करते हैं, लेकिन इसे कभी भी संघीय स्तर पर नहीं किया गया है. राष्ट्रपति जिमी कार्टर ने कोशिश की, लेकिन नौकरशाही प्रणालियाँ बहुत जटिल थीं, और राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने इस प्रयास को छोड़ दिया.
तो, अगर इस दुनिया में एक व्यक्ति को इस ग्रैंड कैन्यन परियोजना का नेतृत्व करने के लिए चुना गया है, तो राष्ट्रपति से उम्मीद करेंगे कि वह ग्रह पर सबसे अच्छे पूंजी वितरकों में से एक को चुने. बेहतर है कि वह टेक्निकल भी हो जो एआई और तकनीकी प्रतिभा का उपयोग कर सके इस जटिलता को प्रबंधित करने के लिए. मस्क से बेहतर इंसान इस जॉब के लिए कोई नहीं हो सकता है. कोई भी जिसने कंपनी स्तर पर ZBB से गुजरा है, वह आपको बताएगा कि यह नर्क है और हर कोई इससे नफरत करता है. usaid महज़ एक झलक है इस zbb की- असली झांकी अभी बाक़ी है. यदि ये कार्य सफल हुआ तो दुनिया में नया उदाहरण सेट होगा- मस्क का नाम अमर हो जाएगा. यदि ये कार्य फेल हुआ तो मस्क का भविष्य बहुत कठिन होने वाला है.
He has to succeed to protect his future!
ले के रहेंगे गाजा भी…
ट्रम्प ताऊ ने आज इजराइली प्राइम मिनिस्टर के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की, इसमें घोषणा की कि गाजा को हम अपने क़ब्ज़े में लेकर वहाँ के मलबे की सफ़ाई करेंगे, विस्फोटक आदि हटा कर वहाँ अपना क़ब्ज़ा करेंगे. फ़िलिस्तीनी लोगों को इजिप्ट या जॉर्डन में बसा देंगे- आदि आदि. मतलब ताऊ को पनामा कैनाल चाहिए, ग्रीनलैंड चाहिए , कनाडा भी चाहिए मेक्सिको चाहिए और अब गाज़ा भी चाहिए. मतलब अमेरिका की एक शाखा गाजा में भी लगेगी यदि ताऊ के मंसूबे पूरे हुए तो. लगता है ताऊ हरियाणा से बड़ा लट्ठ लेके आए दिखे है- कि सब कुछ क़ब्ज़ा लेवेंगे.
ट्रम्प ताऊ के ये हसीन ख्वाब देख भूरेलाल जी ने शेर पढ़ा-
दुनिया है ख़्वाब, हासिल-ए-दुनिया ख़याल है
इंसान ख़्वाब देख रहा है, ख़याल में!