July 17, 2025
वर्ल्ड

United Nations मना करता रह गया तालिबान ने क्रूर सजाएं दीं

अफगानिस्तान में तालिबान ने 14 महिलाओं सहित 63 लोगों को सार्वजनिक जगहों पर ले जाकर कोड़े मारे हैं . खबरों के मुताबिक, इन लोगों को समलैंगिकता, चोरी और अनैतिक संबंध बनाने का दोषी पाया गया था . महिलाओं को एक सार्वजनिक स्टेडियम में कोड़े मारे गए हैं . संयुक्त राष्ट्र ने इस सजा की निंदा की है . इसे अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार नियमों के खिलाफ बताया है . तालिबान समलैंगिकता को इस्लाम के खिलाफ मानता है . उसने सरी पुल प्रांत में स्टेडियम में पहले लोगों को इकट्ठा किया था फिर कोड़े मारे . तालिबान लोगों को इस्लाम के रास्ते पर चलने को कहता है . साथ ही लोगों से ऐसा न करने पर सजा भुगतने की धमकी देता है . अफगानिस्तान सुप्रीम कोर्ट ने नहीं सुना आरोपियों का पक्ष अफगानिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने पहले मामले में सुनवाई की . इस दौरान आरोपियों को अपना पक्ष रखने के लिए ज्यादा उचित समय नहीं दिया गया, न ही
आरोपियों की बात सुनी और सीधे फैसला दे दिया . इतना ही नहीं तालिबान ने एक व्यक्ति को स्टेडियम में हजारों लोगों के सामने पहले उसे पीटा और फिर फांसी पर लटका दिया . उस व्यक्ति पर हत्या में शामिल होने का आरोप था पर कोर्ट ने उसका पक्ष नहीं सुना और अपना फैसला दे दिया . अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद 2022 में सुप्रीम लीडर हैबातुल्लाह अखुंदजादा ने एक घोषणा की थी . इसमें सभी जजों को आदेश दिए थे कि गुनहगारों को सरेआम सजा मिलनी चाहिए . तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जे के बाद से सरेआम सजा देने का चलन वापस लौटा .
अफगानिस्तान का शरिया कानून
तालिबान ने अफगानिस्तान को ओवरटेक करने के बाद की प्रेस कांफ्रेंस में इशारा कर दिया था कि देश के काफी सारे मसलों पर शरिया कानून लागू होगा . दरअसल शरिया इस्लाम को मानने वाले लोगों के लिए एक लीगल सिस्टम की तरह है . जिसमें रोजमर्रा की जिंदगी से लेकर कई तरह के बड़े मसलों पर कानून हैं . शरिया का जिक्र इस्लाम की पवित्र किताब कुरान के साथ-साथ पैगंबर मुहम्मद के उपदेशों सुन्नत और हदीस में भी है . इन कानूनों के तहत आने वाले गुनाहों को सीधे भगवान की खिलाफत करना समझा जाता है . शरिया कानून में जिंदगी जीने का रास्ता बताया गया है .