Trump ने कहा भारत की चुनाव व्यवस्था हमारे लिए प्रेरणा
बायोमेट्रिक्स के साथ मतदाता की पहचान करने को लेकर गंभीर हैं ट्रंप
अमेरिका को अब तक आप तकनीक की दृष्टि से आदर्श के रुप में ही देखते आए हैं और जब भी भारत में तकनीक की बात होती है तो सबसे पहला उदाहरण अमेरिका का ही दिया जाता रहा है लेकिन इस बार बात कुछ उलट हो गई. जब ट्रंप को अपनी सरकार का यह पक्ष सही साबित करना था कि चुनावी मतदान को बाययोमेट्रिक्स वाली तकनीक से जोड़ा जाना चाहिए तो उन्होंने भारत का उदाहरण देकर कहा कि हमें इसी तर्ज पर चुनाव सुधार करने ही होंगे.
माना जा रहा है कि ट्रंप की इच्छा है कि वो चुनावों को परंपरगात तरीके से कराने के बजाए नई तकनीक के साथ कराएं ताकि सही मतदाता के पास तो वोटिंग का अधिकार हो लेकिन जो लोग अवैध घुसपैठ कर आए हैं वे मतदान के अधिकार से भी वंचित हो जाएं और इस सबके लिए ट्रंप को भारत का मॉडल पसंद आ रहा है जिसमें वोटर आईडी या आधार के साथ वोटर की पहचान होती है और वोटिंग भी वोटिंग मशीन के जरिए की जाती है. वैसे कुछ लोगों को भारत के इतने आगे बढ़ जाने के बाद भी संदेह करने में ही मजा आता है. संयुक्त संसदीय समिति ने जब भारत में वन नेशन वन इलेक्शन को लेकर विशेषज्ञों से बात करनी शुरु की तो बताया गया कि स्वीडन और बेल्जियम जैसी जगहों पर यह लागू है और इसके अच्छे परिणाम हैं. इस उदाहरण पर तुरंत आपत्ति लेते हुए कांग्रेस सांसद प्रियंका वाड्रा ने कहा कि भारत की तुलना स्वीडन और बेल्जियम जैसे देशों से नहीं की जानी चाहिए क्योंकि हम तो अभी भी पिछड़े हुए देश हैं. इस पर तय समयसीमा में जेपीसी किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है इसलिए इसका कार्यकाल बढ़ाया गया है.