SCO Summit मोदी, पुतिन और शी जिनपिंग की मुलाकात
वैश्विक मंच पर भारत-चीन-रूस की एकजुटता
चीन के तियानजिन में ऐतिहासिक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन का होना जितना महत्व का है उससे कहीं ज्यादा इसकी टाइमिंग है क्योंकि रुस से अमेरिका नाराज ही है्, भारत पर वह कई गुना बढ़ाकर टैरिफ लगा ही चुका है और चीन को रेयर अर्थ मटेरियल सप्लाई रोकने की कोशिश करने पर 200 प्रतिशत का टैरिफ लगाकर बर्बाद करने की धमकी भी दे ही चुका है. ऐसे में भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात ने वैश्विक कूटनीति में नया अध्याय जोड़ दिया है.
सात साल बाद मोदी चीन यात्रा पर पहुंचे हैं जबकि उनकी जिनपिंग से मुलाकात भी दस महीने से ज्यादा के समय के बाद हो रही है. इस त्रिपक्षीय मुलाकात ने क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने में मदद मिलने के साथ ग्लोबल साउथ का कॉन्सेप्ट भी सामने आ रहा है और तीन महाशक्तियों की एजटुता तो बन ही रही है. एससीओ शिखर सम्मेलन में 20 से अधिक देशों के नेता शामिल हुए. 2001 में स्थापित इस संगठन का यह अब तक का सबसे बड़ा आयोजन माना गया. सम्मेलन से अमेरिका के प्रभाव को कम करने के साथ वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था को बढ़ावा देने का भी सीधा संकेत गया. मोदी की मुलाकात शी जिनपिंग के साथ भी अच्छी बताई गई और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ तो खैर उनकी केमेस्ट्री अच्छी है ही. वैसे पुतिन से मिलने से पहले मोदी ने यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की से भी बात की ताकि रुस यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को रोकने के प्रयास में वे अपनी भूमका तय कर सकें. इन बैठकों में भारत-चीन सीमा विवाद, व्यापार, क्षेत्रीय सुरक्षा और वैश्विक आर्थिक स्थिरता जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई. इस बैठक के साथ भारत-चीन संबंध एक नए दौर में पहुंचने की संभावना जताई जा रही है. मोदी ने इसे लेकर कहा है कि भारत-चीन संबंध न केवल हमारे लोगों के लिए बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण हैं.