July 12, 2025
वर्ल्ड

Saint Martin द्वीप के लिए अमेरिका ने मुझे अपदस्थ किया-शेख हसीना

सारा झगड़ा सेंट मार्टिन द्वीप को लेकर

बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना ने कहा है कि उन्हें अपदस्थ करने के पीछे वजह यह थी कि अमेरिका की नजर सेंट मार्टिन द्वीप पर थी जिसे उन्होंने अमेरिका को सौंपने से इंकार कर दिया था. हसीना का कहना है कि अमेरिका बांग्लादेश के एक हिस्से को ईसाइ देश बनाना चाहता है और वह सेंट मार्टिन द्वीप पर कब्जा कर न सिर्फ बंगाल की खाड़ी में दबदबा बढ़ाना चाहता था बल्कि बांग्लादेश को तोड़ना भी चाहता था. अमेरिकी सरकार पर सीधे आरोप लगाते हुए हसीना ने कहा कि उन्हें सत्ता से अमेरिका ने बेदखल कराया है और यदि मैं सेंट मार्टिन द्वीप सौंप देती तो यह सब नहीं होता. अमेरिका जो करना चाहता था वह मेरी वजह से संभव नहीं हुआ और इसीलिए मुझे बेदखल किया गया. मैंने भी देश इसलिए छोड़ दिया कि मुझे शवों का जुलूस न देखना पड़े. जबकि विपक्ष छात्रों की लाशों पर सत्ता में आने की कोशिश में ही था.

हसीना ने यह भी कहा कि यदि मैं ठान लेती तो सत्ता में बने रहना मुश्किल काम नहीं था, पहले ही यदि अमेरिका को यह द्वीप सौंपकर कर या बाद में अंदोलन का दमन कर भी सत्ता में बने रहना संभव था. उन्होंने युवा छात्रों को संदेश देते हुए कहा कि मैंने आपको कभी रजाकार नहीं कहा लेकिन भड़काने वालों ने मेरी बात अलग तरीके से पेश की. उन्होंने यह भी याद दिलाया कि दिसंबर 2023 में ही रूसी विदेश मंत्रालय ने कह दिया था कि अगर शेख हसीना में सत्ता में फिर आ जाती हैं तो अमेरिका सारी शक्तियों का इस्तेमाल कर उन्हें अपदस्थ करेगा. उन्होंने कहा कि मैं अपने देश के हिस्सों को बेच कर सत्ता में नहीं आना चाहती थीं.

अमेरिका कर रहा आरोपों से इनकार
अमेरिका हसीना के अब लगाए जा रहे आरोपों से पहले ही इनकार कर चुका है. जून 2023 में अमेरिका ने कह दिया था कि अमेरिका ने सेंट मार्टिन द्वीप पर नियंत्रण करने का कोई इरादा नहीं रखा और बांग्लादेश की संप्रभुता का सम्मान है. इससे पहले ऐसी अटकलों को वह खारिज करता रहा है. सेंट मार्टिन भारत और बांग्लादेश के पास बंगाल की खाड़ी में 8 वर्ग किलोमीटर का द्वीप है. इसे नारिकेल जिंजीरा (नारियल द्वीप) या दालचीनी द्वीप भी कहा जाता है. म्यांमार से सिर्फ आठ किलोमीटर दूर है.यह द्वीप पर बांग्लादेश और म्यांमार भी आमने सामने होते रहे हैं. 1900 में ब्रिटिश भूमि सर्वेक्षण दल ने इसे ब्रिटिश-भारत का हिस्सा माना तब एक अंग्रेज अफसर मार्टिन थे, माना जाता है कि यह द्वीप उन्हीं के नाम कर दिया गया था. 1947 में यह पाकिस्तान के हिस्से में चला गया. बांग्लादेश बना तो यह उसके हिस्से में आ गया. हिंद महासागर एवं विश्व में चीन के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर अमेरिका चार दशकों से इस कोशिश में है कि उसे यह जगह मिल जाए तो चीन और भारत पर अपने हिसाब से रोक लगा सके.