Pope Francis ने ली अंतिम सांस, अब नए पोप के लिए प्रक्रिया
लंबे समय से बीमार थे, दफनाने की रिहर्सल भी हो चुकी थी, नए पोप का नाम और कुछ भी हो ‘पीटर’ नहीं हो सकता
दुनियाभर में 1.3 अरब कैथोलिक ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस नहीं रहे. 88 वर्षीय पोप लंबे समय से बीमार थे और न्यूमोनिया के चलते उनकी हालत इतनी खराब थी कि उनकी मृत्यु को लेकर सभी तैयारियां और रिहर्सल पहले ही कर ली गई थीं. एक महीने से ज्यादा समय तक वे अस्पताल में रहे थे. वेटिकन के कासा सांता मार्टा में उनका निधन हुआ अंतिम सांस ली.
अब नए पोप के लिए तैयारी
अब उनकी जगह नए पोप को चुनने की प्रक्रिया शुरु होगी. पोप सभी कैथोलिक चर्च के सर्वोच्च पद पर होते हैं, इसलिए इनके अधिकार व प्रोटोकॉल भी विशेष होते हैं. चूंकि वेटिकन एक देश ही माना जाता है और पोप इसके मुखिया होते हैं इसलिए उन्हें राष्ट्राध्यक्ष का सम्मान भी दिया जाता है. पोप को सीधे ईसा से जुड़ा माना जाता है. ईसाई धर्म के करीब 2025 सालों के इतिहास में सिर्फ तीन पोप ने पद छोड़ा है वरना सभी की मृत्यु पद पर रहते हुए ही हुई. पोप को चुने जाने की प्रक्रिया भी लंबी और अपरिवर्तित है. पोप को चुने जाने को ‘पैपल कॉन्क्लेव’ कहा जाता है और इसके लिए कई चरणों में मतदान होता है. पोप चुनने की प्रक्रिया की शुरुआत से पहले वोट देने वाले 120 कार्डिनल्स मुख्य पूजाघर में प्रार्थना करते हैं. इसके बाद कार्डिनल्स पोप का उत्तराधिकारी चुनने से पहले गोपनीयता की शपथ लेकर कॉनक्लेव में बंद हो जाते हैं. दावेदारों के भाषण, प्रार्थनाएं और समीक्षा के बाद नौ कार्डिनल फाइनल सूची में पहुंचते हैं. दो-तिहाई कार्डिनल्स जिसे चुनें वह पोप बन जाता है लेकिन एक बार में चुनाव न हो तो बार बार वोटिंग चलती है. 33वें राउंड तक फैसला न हो तो सबसे ज्यादा वोट वाले दो उम्मीदवार बचाए जाते हैं. एक बार तो इस पूरी प्रक्रिया में तीन साल लग गए थे और वोटिंग के बीच तीन कार्डिनल की मौत हो गई थी. जब कोई चुन लिया जाए तो उससे पद स्वीकारने के बारे में पूछा जाता है और मंजूरी मिलने पर उनसे अपना नया नाम रखने को कहा जाता है. पोप को अपना पैपल नेम (पोप बनने के बाद जिस नाम से वे जाने जाएंगे) चुनने को कहा जाता है. इसके बाद इस्तेमाल किए गए वोट वाले कागजों को खास केमिकल के साथ जलाया जाता है ताकि बाहर नए पोप का इंतजार कर रही भीड़ सफेद धुएं को देखकर समझ जाए कि नया पोप चुन लिया गया है. इस सबमें दो बात का ध्यान रखा जाता है, पहला तो यह कि नए पोप के नाम के आगे एक अंक भी रहे ताकि उनकी पहचान साफ साफ हो और दूसरी बात यह कि पोप का नाम पीटर नहीं हो क्योंकि माना जाता है पीटर नाम के व्यक्ति के पोप बनने के बाद धरती खत्म हो जाएगी.