July 18, 2025
वर्ल्ड

Plane Crash मामले में बोइंग को बचाने में एकजुट विदेशी मीडिया

बोइंग की गलतियों पर बात करने से कतराते हुए विदेशी मीडिया पायलेट्स की भूल का ही मुद्दा उछालने में जुटा

अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना के अगले ही दिन से ये कोशिशें शुरु हो गई थीं कि बोइंग पर कोई खराबी की बात न आए इसलिए पायलेट्स की भूल की ही थ्योरी को आगे किया जाए. वॉल स्ट्रीट जर्नल ने दस जुलाई को ही अपनी खबर में पायलट की भूल की बात उछाल दी थी हालांकि तब तक तो वह ब्लैक बॉक्स की प्राथमिक रिपोर्ट भी नहीं आई थी जिसमें एक पायलट पूछ रहा है कि तुमने (ईंधन सप्लाई के लिए) कटऑफ क्यों लिया जबकि दूसरे ने साफ जवाब दिया कि उसने कोई कटऑफ नहीं लिया है.

अब तो लगभग सभी बड़े विदेशी मीडिया संस्थान इस मुहिम में जुट गए हैं कि जैसे भी हो बोइंग को किसी भी गलती के इलजाम से बचाया जाए और इसके लिए वॉल स्ट्रीट जर्नल से लेकर बीबीसी तक और सीएनएन से लेकर ब्लूमबर्ग और रॉयटर तक एक ही बात पर लगे हुए हैं कि कैसे पूरा इलजाम पायलट पर डाल दिया जाए. ऐसा करने के लिए इन्हें पत्रकारिता के मूल्यों से समझौता भी करना पड़ रहा है क्योंकि ये दूसरे पायलट की वह बात सामने ही नहीं ला रहे जिसमें उसने कटऑफ लेने से मना किया लेकिन बोइंग का इतना पैसा पानी की तरह इन संस्थानों की तरफ बह रहा है कि वो तीन दशक के अनुभवी पायलट सुमीत सभरवाल को फ्यूल स्विच बंद करने का दोषी ठहराने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. ये सभी हादसे की रिपोर्टिंग में बोइंग इंजन या अन्य फेलियर के कोण पर बात ही नहीं कर रहे और सिर्फ एक ही जिद लिए बैठे हैं कि या तो पायलट की गलती हुई या भूल से उन्होंने फ्यूल स्विच बंद किया जबकि यह साफ है कि फ्यूल स्विच को बंद करना हमारे बिजली के खटकों की तरह आसान न होकर पूरी एक प्रक्रिया होती है और इतना अनुभवी पायलट ऐसी गलती कभी नहीं करेगा. बड़े कहे जाने वाले ये मीडिया संस्थान न उस चेतावनी की बात कर रहे हैं जो बोइंग के फ्यूल सिस्टम को लेकर बतौर एडवाइजरी जारी की गई थी और न उन घटनाओं को बताने की हिम्मत कर रहे हैं जिनमें बोइंग के प्लेन्स में फ्यूल स्विच का ऑटो कटऑफ ले लेना पायलेट्स के लिए सिरदर्द बना और ऐसी बीसियों घटनाएं हुई हैं.