September 10, 2025
वर्ल्ड

Nepal के पीएम भागे, अब भी नहीं रुक रहा हंगामा

ओली की बेदखली और ऊंट की करवट…   -आदित्य पांडे
नेपाल के प्रधानमंत्री ने आखिरकार इस्तीफा दे ही दिया, इसके कुछ ही देर बाद राष्ट्रपति ने भी पद छोड़ दिया. इससे पहले गृहमंत्री सहित कुछ मंत्रियों का इस्तीफा ले चुके ओली खुद कुर्सी पर जमे रहना चाहते थे लेकिन आंदोलनकारियों का कहना था कि वे प्रधानमंत्री के इस्तीफे से कम पर नहीं मानने वाले हैं. हालात इतने बिगड़े कि एक पूर्व प्रधानमंत्री की पत्नी को जिंदा ही जला दिया गया. ओली सरकार के लगभग सभी मंत्री पिटे और कई के घर जला दिए गए. के पी ओली ने इस्तीफा तो दे दिया लेकिन सवाल यह है कि क्या मामला वाकई सोशल मीडिया के कुछ प्लेटफॉर्म्स को बैन करने का था? या बांग्लादेश की तरह किसी रणनीतिक तरीके से यह सब हुआ है. वैसे इसकी पृष्ठभूमि समझना भी मजेदार है कि पहले नेपाल सरकार ने टिक टॉक पर बैन लगाया और बाकी प्लेटफॉर्म्स चल रहे थे. चीन समर्थक ओली चीन के प्लेटफार्म पर बैन कितने समय रखते? बताया जाता है कि कोई सौदा हुआ, ओली को पैसा मिला और टिक टॉक बैन से बाहर हो गया. तब तक ओली को कमाई का नया रास्ता सूझ चुका था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से बैन हटवाने के बदले बड़ा पैसा मिलता है. ओली ने बिना ज्यादा सोचे अपने पुराने आदेश ताजा किए जिसमें फेसबुक, ट्विटर और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स से कहा गया था कि वे नेपाल में रजिस्टर कराएं और शिकायतों के लिए एक अधिकारी भी नियुक्त करें. इस बार इन्हें तय समय सीमा में यह कराना जरूरी कर दिया गया और जैसे ही समय सीमा खत्म हुई ओली साहब ने इन सभी प्लेटफॉर्म्स को ब्लॉक कर दिया.

इंस्टा वगैरह से कई नेपाली युवा अच्छा पैसा कमा रहे थे और उनकी सालों की मेहनत भी इसके साथ ही शून्य हो गई. इस बार ब्लॉक होने वाले सारे अमेरिकी प्लेटफॉर्म्स थे और जब ज्यादा दबाव बनाया गया तो अमेरिका ने वही कर दिखाया जिसमें उसे महारत हासिल है. इसे थोड़ा और गंभीरता से लें तो आप इसे अमेरिका की चीन को एक चेतावनी भी मान सकते हैं क्योंकि ट्रंप खुलकर चीन से आमना सामना कर नहीं पा रहे हैं और उनके टैरिफ की धमकी को भी हंस कर उड़ा दिया गया. इसमें यह बात भी ध्यान रखिए कि इस कथित आंदोलन का नेतृत्व कर रहे सूडान गुरुंग की पहचान प्रदर्शन करते रहने वाले की है, कुछ कुछ भारत के योगेंद्र यादव की तरह जो हर बड़े छोटे आंदोलन में नजर आ जाते हैं. ओली का बेदखल होना और संसद से लेकर राष्ट्रपति और मंत्रियों के घर फूंके जाने को आप नेपाल की नई करवट कह सकते हैं जिसका अभी यह नहीं पता कि इसका अंजाम अच्छा होना है या बुरा लेकिन यह तय है कि भारत के आस पड़ोस अमेरिका और चीन के बीच की उठापटक के मैदान बन चुके हैं. श्रीलंका, बांग्लादेश, म्यांमार और पाकिस्तान में सत्ता पलट के नज़ारे हमने देखे ही हैं और अब वही आग नेपाल में भड़की हुई है. नेपाल लंबे समय से पिंगपोंग की गेंद की तरह बस दो तीन नेताओं की बपौती सरकारों से चल रहा था लेकिन इस बार वे पुराने चेहरे तो फिर नजर नहीं आएंगे यह तय मानिए…