August 5, 2025
वर्ल्ड

Nepal में राजशाही की वापसी की मांग ने पकड़ा जोर

2008 में राजशाही के खात्मे के बाद से माओवादियों के गुटों के पास ही रही है सत्ता

नेपाल में पूर्व राजा ज्ञानेंद्र के लौट आने और उनकी गई अपील को लेकर राजनीति तेज हो गई है. 2008 में नेपाल में राजशाही खत्म हो गई थी लेकिन पिछले 16 सालों में 13 प्रधानमंत्री बदले जाने से नेपालियों को यह लगने लगा है कि प्रजातंत्र से लोकतंत्र ही बेहतर है. यूं भी नेपाल में राजशाही खत्म होने से अब तक सत्ता माओवादियों के इर्द गिर्द ही घूम रही है. ऐसे में ज्ञानेंद्र का वापस आकर जिस तरह से नेताओं को पूरी तरह असफल बता रहे हैं उसका सीधा संकेत यह मिल रहा है कि राजशाही की वापसी के लिए वे संभावना तलाश रहे हैं. हिन्दू राजशाही वापस लाने के लिए जनता की तरफ से पहले भी मांग उठती रही है लेकिन छह साल राजा रहे ज्ञानेंद्र के आने और नेताओं को असफल बताने के बाद से राजनीतिक पार्टियां बैचेन हैं. प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ज्ञानेंद्र से पूछा है कि वे किसलिए और किन लोगों से किस बात पर समर्थन मांग रहे हैं. नेपाल में राजशाही समर्थकों पर अब दंडात्मक कार्रवाई होती है और इसके बाद भी ज्ञानेंद्र का भव्य स्वागत होना यह दिखा रहा है कि राजशाही के प्रति अब भी यहां की जनता भावनाएं रखती है. ज्ञानेंद्र के लौटने पर उनका स्वागत करने आई भीड़ ने ‘राजशाही वापस लाओ’, ‘हमें हमारा राजा वापस दो’ और ‘ये नेपाल ज्ञानेंद्र का है’ जैसी तख्तियां ले रखी थीं और इसी आशय के नारे भी लगाए जा रहे थे. 77 साल के ज्ञानेंद्र इस स्वागत के बाद अपने महल निर्मल निवास चले गए लेकिन भीड़ सड़कों पर उनके घर पहुंच जाने के बाद भी नारे लगाती रही.
ज्ञानेंद्र का स्वागत और योगी का फोटो
नेपाल में अपने पूर्व राजा का स्वागत करने वाली भीड़ के प्रदर्शन में एक रोचक बात यह भी नजर आई कि राजा ज्ञानेंद्र के साथ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी तस्वीरें लिए हुए लोग नजर आए. दरअसल योगी आदित्यनाथ के पास नाथ पंथ की गादी है यानी वे इसके मुखिया हैं और इस पंथ का नेपाल राजपरिवार से विशेष रिश्ता है. अब प्रदर्शन करने वाले कह रहे हैं कि नेपाल का इतिहास मिटाने की कोशिश सफल नहीं होने दी जाएगी. इससे पहले ज्ञज्ञनेंद्र ने चेतावनी देते हुए कहा था कि उन्होंने अपने अधिकार जनता की भलाई के लिए छोड़े थे लेकिन उनके त्याग को कमजोरी ना समझा जाए. उन्होंने संकेत में कहा कि अब नेपाल को बचाने का समय है और इसमें सभी नेपाली उनका साथ दें. नेपाली पीएम ओली ने ज्ञानेंद्र पर देश को अस्थिर करने की कोशिशों का आरोप लगाया है.