NATO की सदस्यता और क्रीमिया, दोनों नहीं मिलेंगे यूक्रेन को
यूरोपियन यूनियन वालों के साथ जेलेंस्की व्हाइट हाउस पहुंचें उससे पहले ही ट्रंप ने रख दी कठिन शर्त
रुसी राष्ट्रपति पुतिन से मिलने के बाद ट्रंप बोले जेलेंस्की चाहें तो अभी युद्ध खत्म हो जाए
एक बार व्हाइट हाउस में बुरी तरह बेइज्जत हो चुके जेलेंस्की इस बार यूरोपियन यूनियन के सदस्यों के साथ ट्रंप से मिलने गए हैं लेकिन इस डेलिगेशन के पहुंचने से पहले ही ट्रंप ने ऐसी बात कह दी है कि जेलेंस्की के अरमान ठंडे पड़ गए हैं जबकि वे इस मुलाकात को लेकर काफी उत्साहित थे. ट्रंप ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा है कि जेलेंस्की चाहें तो युद्ध लड़ते रहें और चाहें तो तुरंत इसे खत्म कर सकते हैं बस इतना याद रखें कि कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं मसलन क्रीमिया अब यूक्रेन को वापस पहीं मिल सकता और न ही नाटो की सदस्यता ही उसे दी जा सकती है. इसमें बड़ा पेंच यह है कि क्रीमिया पर रुस का कब्जा तो युद्ध शुरु होने के बाद की बात है लेकिन मूल मुद्दा यानी जिस पर लड़ाई शुरु हुई थी वह तो नाटो की सदस्यतो को लेकर ही था. जेलेंस्की इस बात पर अड़े हुए थे कि यू्क्रेन को नाटो का सदस्य बना कर ही दम लेंगे जबकि रुस अपनी देहरी पर किसी नाटो की दखलंदाजी नहीं चाहता था. अब तीन साल से ज्यादा के युद्ध और बहुत बड़े हिस्से के साथ कई जानें गंवाने के बाद यदि यूक्रेन को इन शर्तों पर ही लड़ाई रोकनी है तो सवाल यही उठेगा कि आखिर जेलेंस्की को इस सबसे हासिल क्या हुआ. अपनी पोस्ट में ट्रंप ने लिखा है कि राष्ट्रपति जेलेंस्की युद्ध को तुरंत समाप्त कर सकते हैं, अगर वे चाहें. या फिर वे लड़ाई जारी रख सकते हैं. याद रखिए, यह कैसे शुरू हुआ था, ओबामा ने क्रीमिया दे दिया और यूक्रेन को नाटो में नहीं जाना है. कुछ चीजें कभी नहीं बदलतीं. इस बयान से साफ है कि पुतिन ने अलास्का में ट्रंप से मुलाकात में अपना पक्ष साफ रख दिया है और ट्रंप अब एक बार फिर जेलेंस्की को ही इस सबका जिम्मेदार मान रहे हैं. पुतिन ने यूक्रेन के डोनेस्क और लुहान्स्क से पीछे हटने और क्रीमिया को रूस में शामिल मानने की बात रखी थी. ट्रंप इन शर्तों को व्यावहारिक बता चुके हैं. अब साफ है कि यूक्रेन को अपनी सीमाओं पर समझौता करना होगा और यदि उसने ऐसा नहीं किया तो युद्ध जारी रहने का आरोप ट्रंप सीधे जेलेंस्की पर लगाएंगे.
यूरोपीय नेताओं की चिंता
यूरोपीय संघ का मानना है कि यूक्रेन की संप्रभुता से समझौता नहीं हो सकता और जेलेंस्की कह रहे हैं कि हमें शांति तो चाहिए लेकिन यूक्रेन आत्मसमर्पण नहीं करने वाला है. उधर ट्रंप साफ ह चुके हैं कि नाटो में यूक्रेन का जाना रेड लाइन ही है. अमेरिकी विदेश विभाग ने भी संकेत दिया है कि फिलहाल यूक्रेन को केवल सुरक्षा गारंटी दी जा सकती है, पूर्ण सदस्यता नहीं. ट्रंप और पुतिन की अलास्का बैठक के बाद साफ था कि युद्धविराम से पहले एक व्यापक समझौते की राह खोली जानी है. जेलेंस्की एक ही बात दोहरा रहे हैं कि यूक्रेन किसी भी कीमत पर अपनी ज़मीन नहीं छोड़ेगा. ऐसे में आज ओवल ऑफिस की मीटिंग और ज्यादा महत्व की हो गई है क्योंकि अब ईयू र यूएसए के रुख दो अलग तरीके के बन चुके हैं.