MidNight Hammer से बुशहर रिएक्टर कैसे बच गया
अकेले ईरान नहीं बल्कि आसपास के कई देशों के लिए पीने के पानी का भी संकट हो जाता यदि यहां रेडिएशन फैलता
ईरान और इजराइल के बीच चल रही लड़ाई को समझौते तक पहुंचाने से पहले अमेरिका ने अपने बी2 बमवर्षकों से तीन ईरानी न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया लेकिन कमाल की बात यह रही कि सबसे महत्वपूर्ण माने जाने वाले बुशहर रिएक्टर पर कोई हमला ही नहीं हुआ. नतांज, इस्फहान और अरक के परमाणु रिएक्टर्स पर हमले के बावजूद बुशहर को आपरेशन मिडनाइट हैमर शामिल ही नहीं किए जाने को लेकर सवाल यह है कि क्या इसे जानबूझकर छज्ञेड़ा गया या इसके पीछे भी कोई रणनीति थी. दरअसल माना यह जा रहा है कि अमेरिका ने ईरान को यह तो बता दिया कि वह किस कदर नुकसान पहुंचा सकता है लेकिन बुशहर पर हाथ डालने से पहले उसे रुस की चेतावनी याद आ गई. रुस ने कहा था कि यदि बुशहर पर हमला हुआ तो फैलने वाला रेडिएशन कई राष्ट्रों को नुकसान पहुंचाएगा. रूस ने की इस चेतावनी के पीछे 1956 की चेरनोबिल विभीषिका वाला अनुभव भी काम कर रहा था जो खुद रुस ने झेला और इसके दुष्परिणाम आज तक जारी हैं. बुशहर ईरान का सबसे सक्रिय रिएक्टर है.
यहां हमला होता तो एक्टिव यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड पानी को इतना जहरीला बना देता कि सऊदी, यूएई, कुवैत, बहरीन, ओमान और कतर के करोड़ों लोग पीने के पानी के लिए परेशान हो जाते. ये सभी अमेरिका के मित्र दोस्त हैं और यहां अमेरिकी अड्डे भी हैं. बुशहर में फैला रेडिएशन बहुत बड़े क्षेत्र को चपेट में लेता और पीने के पानाी की किल्लत का मसला बेहद बड़ा हो सकता था. बस इसी वजह से बुशहर का परमाणु ठिकाना मिडनाइट हैमर में शामिल नहीं किया गया. रुस भले सीधे ईरान के साथ लड़ने खड़ा नहीं हुआ लेकिन उसकी एक गंभीर बात ने कम से कम ईरान के सक्रिय रिएक्टर को न सिर्फ हमलों से बचाया बल्कि इससे पैदा होने वाली एक बड़ी त्रासदी की संभावना भी टाल दी. पुतिन ने इस पूरे युद्ध के दौरान बेहद संतुलित तरीके से व्यवहार की वजह भी साफ कर दी कि वे भले ईरान के साथ हैं लेकिन इजरायल की आबादी में 20 लाख से अधिक रुसी मूल के लोग हैं और रूस की 15 प्रतिशत आबादी इस्लामिक है. वैसे बुशहर को लेकर पुतिन की चेतावनी की एक वजह यह भी मानी जा रही है कि इस रिएक्टर को बनाने में रूस का बड़ा हाथ रहा है.