June 21, 2025
वर्ल्ड

Iran को धोखा, ट्रंप की दावत और पाकिस्तान की डेमोक्रेसी

फील्ड या कहें फेल्ड मार्शल मुनीर तय कर रहे हैं पाकिस्तान की नीतियां और पीएम, प्रेसिडेंट बेबस

आखिर पाकिस्तान ने ट्रंप का नाम नोबेल पुरस्कार के लिए भेज ही दिया और इसी के साथ यह फिर साबित हो गया कि कहने को भले लोकतंत्र हो लेकिन यहां सेना ही सत्ता में है और इसीलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री को न बुलाते हुए पाकिस्तानी फील्ड मार्शल को खाने पर बुलाया था. अब आप उस देश की बेबसी समझिए जहां प्रधानमंत्री मुंह ताक रह हो और अमेरिका सीधे सेना प्रमुख से बात कर निर्णय ले, जहां विदेश मंत्री कह रहा हो कि हमें तो पता ही नहीं चला कि मुनीर व्हाइट हाउस में बोटियां तोड़ रहे हैं, जहां उपप्रधानमंत्री से सऊदी प्रिंस ने सीधे बात कर सीजफायर का प्रस्ताव रखा हो और शरीफ इस बात से बेखबर रात दो बजे स्वीमिंग पूल में मजे कर रहे हों, जहां विपक्ष का वह नेता जो थोड़ी बहुत सेना पर नकेल रख सकता था वह खुद ही नहीं उसकी बेगम तक जेल में चक्की पीस रहे हों और सबसे बड़ी बात कि जिस देश की जनता ला इलाहा इल्लिलाह का नारा लगाते न थकती हो उसे एक मुस्लिम देश पर हमले के समय एक यहूदी और ईसाई देश का पिछलग्गू बनाने में भी सेना प्रमुख को कोई संकोच न हुआ हो.

ईरान के साथ पाकिस्तान की पूरे हजार तो नहीं लेकिन 900 किलेामीटर से ज्यादा की सीमा लगती है और ऐसे पड़ोसी को भी पाकिस्तान ने धोखा दे डाला जो मुस्लिम देश है, जो शरीयत के हिसाब से चलता है और जो लंबे चौड़े बकाया पर भी पाकिस्तान को उधार देता रहता है. दरअसल समझने वाले न सिर्फ समझ रहे थे बल्कि दमदारी के साथ लंबे समय से कह भी रहे थे कि पाकिस्तान अभी भले मुस्लिम उम्माह के नाम पर सभी 57 मुस्लिम देशों को ईरान के साथ खड़े होने को कहता हो लेकिन अमेरिका को खुश करने के लिए यह ईरान के पीठ में खंजर डालेगा और गौरव आर्या जैसे पाकिस्तान को करीब से परखने वालों ने तो यह बात कम से कम हजार बार कह दी थी, उससे काफी पहले जब ईरान को पाक ने धोखा दिया. मुनीर से ट्रंप को दो रोटी, दो बोटी के बदले जिन वादों की लिस्ट पर साइन करा लिए हैं उनमें ईरान से तेल न खरीदना भी शामिल है और पाकिस्तानी एयरस्पेस का इस्तेमाल ईरान के खिलाफ करना भी. ईरान जरुर हैरान है कि कहां तो पाकिस्तान इतनी बड़ी बड़ी बातें करते हुए उसके लिए समर्थन जुटाने पूरी दुनिया में निकल पड़ा था और कहां खुद ही अब सामने वाले खेमे में खड़ा है लेकिन यहां भी गलती ईरान की ही है. पाकिसतान का इतना करीबी पड़ोसी होने के बाद भी यदि वह पाकिस्तान पर भरोसा कर रहा था तो इसे किसकी बेवकूफी कहा जाएगा जबकि इनका तो पूरे 75 सालों से दगाबाजी का ही इतिहास रहा है. पाकिस्तान के सारे जनरल्स के रिटायरमेंट के बाद के आशियाने दुबई, यूके और यूएसए जैसी जगहों पर ही हैं और कंगाल पाकिस्तान कभी इतना पैसा नहीं देता कि ये जनरल विदेशों में इतना कुछ जमा पाएं, तो आखिर इनके पास पैसा आता कहां से है? सीधा सा जवाब है कि हर बार इन्होंने गद्दारी के बदले बड़ा पैसा बनाया. मुनीर भी इसी गद्दारी के पैसों का पनीर खा रहे हैं. मजे की बात यह है कि शरीफ पीएम की कुर्सी पर बैठकर और इमरान खान जेल में बैठे ये तमाशा देख रहे हैं लेकिन कर कुछ नहीं सकते. लोकतंत्र के नाम पर यदि दुनिया का सबसे बड़ा मजाक देखना हो तो आप पाकिस्तान की कथित डेमोक्रेसी को देख लीजिए, जहां सेना प्रमुख ट्रंप के साथ खाना खाता दिखेगा और कथित प्रधानमंत्री और पूर्व प्रधानमंत्री अपनी बेबसी पर रोते नजर आएंगे औरर इस सबमें राष्ट्रपति जरदारी के पास एक ही टास्क है कि वो किसी भी प्रोजेक्ट में हरसंभव अपना तय कमीशन खाते रहें.