Hamas के प्रधानमंत्री सहित कई बड़े नेता भी मारे गए इजराइली हमले में
अगले युद्ध विराम के लिए राजी न होने पर हमास को इजराइली सबक
इजराइल का वह सब्र चुक रहा है जिसमें वह अपने बंधक बनाए गए लोगों को तय समय में वापस चाहता था लेकिन हमास इन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहा है. बात यहां तक पहुंच गई है कि नेतन्याहू ने दो महीने से चले आ रहे युद्धविराम को तोड़कर गाजा पर अब तक का सबसे बड़ा हवाई हमला कर डाला. बताया जा रहा है कि इस हमले में हमास सरकार के प्रधानमंत्री इसाम अल-दलिस भी मारे गए हैं और उनके अलावा 400 से ज्यादा लोग की जान गई है. हमास ने जवाब देते हुए कहा है कि अब हम भी संघर्ष विराम को नहीं मानने वाले हैं, साथ ही उसने कहा है कि वह अब किसी बंधक की जान नहीं बख्शने वाला है. इज़रायली सेना ने हमास पर इतने ताबड़तोड़ हवाई हमले किए कि 400 से अधिक लोग मारे गए और 562 घायल हुए हैं.
इजराइल ने उत्तरी गाजा पट्टी को खाली करने का आदेश देते हुए हमास को उखाड़ फेंकने की कसम खाई है. नेतन्याहू का कहना है कि यह हमला युद्ध विराम के दूसरे चरण को लेकर गतिरोध न सुलझ पाने की हालत में किया गया है. इजराइल ने आगे और भी जमीनी या हवाई हमलों की चेतावनी भी दी क्योंकि हमास इजराइल के प्रस्तावों को बार बार खारिज कर रहा है. इजराइल का कहना है कि बाकी बचे 59 बंधकों को जल्द रिहा किया जाए लेकिन हमास इनके बदले कई सारी शर्तें रखने के साथ ही शतेंर् बढ़ाते जाने पर भरोसा कर रहा है.
फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद (पीआईजे) सशस्त्र समूह ने युद्ध विराम तोड़ने के लिए इजराइल की आलोचना की है. हमास ने पहले चरण में 33 इजराइली बंधकों के बदले अपने दो हजार से ज्यादा कैदियों को रिहा कराया था. दूसरे चरण की युद्ध विराम के लिए हमास की शर्तें बढ़ती जा रही हैं जबकि अब तक दूसरा विराम लागू हो जाना था और सभी बंधरक छोड़ दिए जाने थे. इजराइल के ताजा हमले में हमास सरकार के कई प्रमुख नेता ही नहीं प्रधानमंत्री इसाम अल-दलिस भी मारे गए हैं. हमास के आंतरिक मंत्रालय के प्रमुख महमूद अबू वत्फा, अबू ओबैदा मोहम्मद अल-जमासी और इस्साम अल-दलिस जैसे नेता भी इन हमलों में मारे गए हैं. उनके आंतरिक सुरक्षा सेवा के महानिदेशक बहजत अबू सुल्तान और न्याय मंत्रालय के महानिदेशक अबू अम्र अल-हट्टा भी इन टारगेटेड हमलों में मारे गए हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को भरोसे में लेकर किए गए हमलों को लेकर संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों और अरब देशों ने गाजा पर इस हमले का विरोध किया है और कहा है कि यह योजना गाजा से फिलिस्तीनियों को जबरन बाहर निकालने का प्रयास है.