G-7 के सात में से छह देशों ने दबाव बनाया तो कनाडा ने भारत को बुलाया
ट्रूडो के नक्शे कदम पर चलते हुए कॉर्नी भारत को नहीं बुलाना चाह रहे थे लेकिन बाकी देशों ने कहा भारत के बिना बैठक संभव नहीं
कनाडा के प्रधानमंत्री कार्नी ने G-7 के लिए भरत के प्रधानमंत्री को फोन कर न्यौता दिया और यह भी कह दिया कि भारत जिस तरह से मजबूत और वैश्विक केंद्र में है ऐसे में उसे नजरअंदाज करना संभव ही नहीं है. इससे पहले इस बात को लेकर विपक्ष सहित कई लोग कह रहे थे कि इस समिट में हमें न बुलाया जाना देश का अपमान है. कार्नी पहले अपने पूर्ववर्ती यानी ट्रूडो के नकषेकदम पर चलना चाह रहे थे और उनकी पूरी कोशिश थी कि जी 7 समिट में भारत को न बुलाया जाए. इस बात की पुष्टि कनाडा सरकार की तरफ से वीना नदजिबुल्ला ने की और कहा कि बाकी छह देशों का पूरा जोर था कि भारत को इस समिट में होना ही चाहिए.
निज्जर की हत्या में भारत सरकार के एजेंटों की संलिप्तता वाली बात कहकर ट्रूडो ने भारत कनाडा के संबंध खाराब कर दिए थे और भारत इस बात पर कनाडा से नाराज है कि वह खालिस्तानी आंदोलन को पूरी सहायता दे रहा है. इसी के चलते विपक्ष को लग रहा था कि यदि मोदी जी 7 समिट में शामिल नहीं होते हैं तो इसे मुद्दा बनाया जा सकता है लेकिन बाकी छह देशों ने इतना दबाव डाला कि आखिर कनाडा को मोदी को न्यौतना ही पड़ा. अल्बर्टा में होने वाली जी-7 बैठक के लिए मोदी को आमंत्रण देने के कुछ ही देर बाद क प्रेस कांफ्रेंस में कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने कहा कि दुनिया की एक बड़ी अर्थव्यवस्था और बेहद महत्वपूर्ण देश होने के नाते भारत का इस बैठक में शामिल होना बनता ही था और इसे लेकर अब सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए.