June 21, 2025
वर्ल्ड

EU में दक्षिणपंथ की बढ़ती ताकत से यूरोप के लिए संकेत क्या हैं

इटली की प्रधानमंत्री के जोश में कहे गए शब्द:”हेलो टीम मेलोनी” अब व्यापक अर्थों में दक्षिणपंथी राजनीति के संगठित होने का संकेत दे रहा है.यूरोपीय पार्लियामेंट के चुनावो मेंलोनी की पार्टी जीती है और यूरोपीय संघ में जिस तेजी से दक्षिणपंथियों का दबदबा बढ़ा है, उसने एक संकेत भर दिया है कि यूरोप की राजनीति में ‘पेराडाइम शिफ्ट’ हो रहा है मेलोनी चुनाव प्रचार में कह चुकी थीं कि यूरोपीय संघ का दफ्तर अब रोम होगा यानी यूरोप की सत्ता में बदलाव. दक्षिणपंथियों के यूरोपीय संघ में मज़बूत होने से आप्रवासी विरोधी नियमों में सख्ती होना तय है. . हंगरी ,फिनलैंड ,पोलैंड,फ्रांस और बेल्जियम भी दक्षिणपंथ की मजबूत पकड़ में हैं. राष्ट्रवाद को अब तक भले एक गाली की तरह इस्तेमाल किया जाता हो और डेमोग्राफी बिगाड़ कर सत्ता हथियाने के सपने देखने वाले आप्रवासियों के पक्ष में अब तक कितनी ही चालें चली गई हों लेकिन अब यह समझ मजबूत होती जा रही है कि आप्रवासियों के लिए बाकायदा नीति होनी चाहिए.

यूरोप में 50 देश हैं और इनमें से 27 ही ईयू मेंबर हैं. इन 27 देशों के 45 करोड़ से मतदाताओं ने ईयू के लिए 720 सांसद चुने थे. एक मुद्रा, एक बाजारऔर साझे अधिकार से जुड़े यूरोपीय संघ को यूरोपीय कमीशन, यूरोपीय काउंसिल और यूरोपीय पार्लियामेंट चलाते हैं. ये तीनों मिलकर काम करते हैं. जर्मनी को साढ़े आठ करोड़ की आबादी के आधार पर ईयू संसद में 96 सीटें मिली हुई हैं. दरअसल यूरोपीय संसद यूरोपीय लोगों और यूरोपीय संघ, जनता के बीच सीधी कड़ी है. दक्षिणपंथी सांसदों की संख्या बढ़ने से जो बदलाव आने हैं वे तुरंत सामने दिखें जरुरी नहीं है लेकिन बदलाव आएंगे और ये अब तक की दिशाओं से ठीक उलट ही होंगे. ईयू संसद अपने कानून पेश नहीं कर सकती क्योंकि यह काम यूरोपीय आयोग के पास है. संसद उसे पारित या रद्द कर सकती है. दक्षिण पंथी सदस्यों की संख्या बढ़ने पर यूरोपीय संघ का रवैया एकदम नहीं बदलेगा.यूं भी यूरोपीय कमीशन और कॉउंसिल में अभी मध्यमार्गी ही ज्यादा हैं. का कब्ज़ा है. फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को मेरिन ली पेन ने इतना पीछे छोउ़ दिया कि मैक्रों उनसे आधे वोट भी नहीं ले पाए. पोलैंड, जर्मनी, हंगरी ,नीदरलैंड,ऑस्ट्रिया और ग्रीस में भी दक्षिणपंथी आगे हैं. यूरोपी संसद में अभी भी कथित उदारवादियों के पास 400 सीटें हैं जबकि दक्षिणपंथियों के पास इटली से नई सीटें मिलाकर 130 ही हुई हैं यानी सिर्फ बीस प्रतिशत.फिलहाल तो यूरोपीय यूनियन का रुख पूरी तरह बदलता नजर नहीं आएगा लेकिन जिस तरह से आप्रवासी समस्याओं ने यूरोप को घेरा है और जिस तरह के रुझान दिख रहे हें उससे साफ है कि अब यूरोपीय यूनियन उस बदलाव के दौर में है जहां उसकी रीति नीति दक्षिणपंथ की राष्ट्रवादी नीतियों को अनदेखा करने में सक्षम नहीं रहेंगी.