China पर ट्रंप ने लगाया 104 प्रतिशत का टैरिफ
इस कदम के चलते बदलेंगे दुनिया के व्यापारिक नक्शे और हालात
आखिर डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर 104 प्रतिशत वाले टैरिफ को कार्यरुप दे ही दिया यानी यह धमकी नहीं थी बल्कि चेतावनी ही थी. इस कदम के बाद अब यह साफ है कि ट्रंप का टैरिफ वॉर दूसरे चरण में प्रवेश कर गया है जहां सीधे सीधे दो लॉबी बन रही हैं जिनमें से एक वो है जो टैरिफ कम कर अमेरिका के साथ व्यापार जारी रखना चाहती है और दूसरी वह जो ट्रंप के सामने खड़े होकर कहें कि अमेरिका को छोड़कर हम आपस में ही व्यापार कर लेंगे यानी हमारे माल को आपके बाजार की जरुरत नहीं है. ट्रंप पर इस बात का भले कम दबाव हो कि उनके खिलाफ दुनिया के कई देश लामबंद हो रहे हैं लेकिन इस बात का असर तो उन पर पड़ेगा ही कि चीजों के भाव अमेरिका में बढ़े हैं. ट्रंप के घनघोर समर्थक रहे लोगों के बीच भी इस बात के अंसतोष फैलने को लेकर डेमोक्रेट्स लगभग निश्चिंत हैं क्योंकि उन्हें पता है ट्रंप की सारी योजनाएं अच्छी हो सकती हैं लेकिन इनके फायदे जमीन पर दिखने में जो समय लगेगा वह असंतोष फैलने के लिए काफी होगा.
ट्रंप ऐसे पहले राष्ट्रपति नहीं हैं जिन्होंने टैरिफ को हथियार बनाने के बारे में सोचा हो क्योंकि उनसे हूवर के पास अंतरराष्ट्रीय माइनिंग इंजीनियरिंग और फाइनेंस सेक्टर का अच्छा खासा अनुभव था. उन्होंने भी 1929 में ट्रंप की ही तरह अमेरिका के सीईओ की तरह देश को चलाने के निर्णय लिए. उनसे भी पहले एक और सज्जन थे जो ऐसे ही विचार रखते थे और जिन्हें डोनाल्ड ट्रंप अपना आदर्श मानते हैं, उनका नाम था विलियम मैकिनले जो रिपब्लिकन सांसद होते हुए 1896 में राष्ट्रपति बने. उनकी भी अवधारणा यही थी कि अमेरिका को आत्मनिर्भर होना चाहिए और इसके लिए अमेरिकी (खासतौर पर किसानों को) को संरक्षण मिलना चाहिए. उनकी नीतियां भी कुछ ऐसी ही थीं कि उन्हें “संरक्षणवाद का नेपोलियन” तक कहा जाने लगा. हालांकि तब के हालात अलग थे और हूवर के मामले में तो बात विश्वयुद्ध के समय की ही हो गई लेकिन बात यह है कि अमेरिका के लिए यह सोच नई नहीं है. ट्रंप का कहना है कि अमेरिका की आय तब से काफी बढ़ी है जब से टैरिफ को लेकर नए निर्णय किए गए हैं लेकिन उनके विरोधी कह रहे हैं कि जिस हिसाब से पैसा शेयर मार्केट में डूबा है उसके मुकाबले आई हुई कमाई कुछ नहीं है. ट्रंप के शुरुआती सौ दिन पूरे होने में ज्यादा दिन नहीं बचे हैं और ट्रंप इससे पहले कई बड़े मामले निपटा देना चाहते हैं लेकिन अभी तो वो टैरिफ से ही निपटने में समय दे रहे हैं.