Chernobyl में रुसी ड्रोन ने उड़ाई सेफ्टी शील्ड
यूक्रेन के चेर्नोबिल में पहले हुई परमाणु दुर्घटना में हिरोशिमा के बराबर ऊर्जा उत्पन्न हुई थी
जिस समय ट्रंप दुनिया को बता रहे थे कि पिछले दो घंटे में उन्होंने रुसी राष्ट्रपति पुतिन से यूक्रेन युद्ध रोकने को लेकर बात की उस समय यूक्रेन के चेर्नोबिल में परमाणु विशेषज्ञ जान खतरे में डाल कर जांच रहे थे कि पिछले दिनों हुए ड्रोन हमले में जो डिकैपिंग हुई है उसका क्या असर हो सकता है. ट्रंप ने अपने ट्वीट में जब बताया कि उन्होंने अपनी बात की जानकारी किस किस नेता से शेयर की उस समय बहुत बड़ी चिंता चेर्नोबिल के रिएक्टर नंबर चार से रिस रही थी. मई 2025 अभी दो तिहाई ही बीता है और दुनिया इस महीने के इतने दिनों में किन खतरों से रुबरु हो गई है याद करना ही कंपकंपा देता है. गाजा पर इजराइली बम थोड़ी ज्यादा नाराजी के साथ बरस ही रहे थे कि पाकिस्तान और भारत के बीच हालात यहां तक पहुंच गए कि भारत ने पाकिसतान में घुसकर आतंकियों के मरकज नष्ट कर दिए और गुस्साए पाकिस्तान ने परमाणु बम ले जाने वाली मिसाइल शाहीन ही भारत पर दाग दी थी. यह खबर उस खबर के पीछे पीछे ही आई जिसमें पाकिस्तानी पहाड़ी के बीच बने परमाणु संयंत्र में परमाणु कंटेनर के डीकैप होने, मुख्य द्वार उड़ा दिए जाने और यहां भयानक विस्फोट की खबर के बाद रेडिएशन जानने समझने विशेष विमान उड़ने लगे थे. इस बीच ट्रंप ने खाड़ी के अपने दौरे पर भी कुछ परमाणु मामलों पर बातचीत की है लेकिन जब यह सब हो रहा था उसी सबके बीच कोई रुसी ड्रोन यूक्रेनी आधिपत्य वाले चेर्नोबिल के उस परमाणु संयंत्र के सुरक्षा डोम को भेद गया, यह वही चेर्नोबिल है जो 26 अप्रैल 1986 को दुनिया भर के लिए खतरा बन कर सामने आ चुका था.
इस तारीख पर चेनौबिल में परमाणु दुर्घटना हुई तो जितना रेडिएशन फैला वह कमोबेश उतना ही था जितना 1945 में हिरोशिमा में गिराए गए परमाणु बम से फैला होगा. इस बार इस परमाणु संयंत्र की सुरक्षा परत को भेद कर अंदर कितना नुकसान हुआ यह अभी तय नहीं हुआ है लेकिन यह बताया जा रहा है कि रिएक्टर 4 की स्टील की खोल ही नहीं टूटी है बल्कि अंदर की परत का भी 30 प्रतिशत हिस्सा नष्ट हो गया है और जिस जगह यह ड्रोन टकराया है उसके नीचे ही 200 किलो रेडियोएक्टिव कंटेनर रखने की क्षमता है. ऐसे किसी मामले में कोई साफ खबर सामने आ नहीं पाती है लेकिन यह तय है कि पिछले कुछ दिनों में यह न्यूक्लियर वाले मामलों ने चिंता तो सामने रख ही दी हैं. इस संयंत्र के बारे में तो कहा जा रहा है कि यह ऐसे किसी सीधे सैन्य हमले को ध्यान में रखकर बना ही नहीं है और अब यदि कोई भूकंप भी आ जाए तो खतरा कई गुना बढ़ सकता है. किराना हिल्स से लेकर भारत पाक तनाव परमाणु युद्ध के स्तर तक जाने की संभावना और अब इस खतरनाक रहे संयंत्र की सुरक्षा परत टूटने की बात तक बार बार यही मसला सामने आता है कि परमाणु खतरा कितना आसन्न है.