July 20, 2025
वर्ल्ड

Boeing को बचाने की आखिरी कोशिशें चल रही हैं

एयरबस से हर मामले में पिछड़ रही बोइंग को कर्ज और घाटे ने मुश्किल में डाल दिया है

बोइंग ने पूरी ताकत इस बात के लिए लगा दी है कि अहमदाबाद में हुई विमान दुर्घटना में उसके प्लेन की खामियां सामने न आ पाएं और इसके लिए आखिर पायलट की भूल को ही अंतिम सत्य मान लिया जाए. इस प्रोपेगैंडा के लिए बोइंग ने इतना पैसा बहाया है कि बड़े बड़े मीडिया संस्थानों ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट के ही आधे अधूरे हिस्सों को तोड़ मरोड़कर सामने रखते हुए बोइंग को बचाने वाली कहाानियां गढ़ना शुरु कर दी हैं. 12 जून 2025 की एयर इंडिया विमान हादसे में बोइंग को क्लीन चिट दिलाने की जल्दी ये विदेशी मीडिया संस्थान इसलिए भी दिखा रहे हैं क्योंकि बोइंग के लिए यह अस्तित्व की लड़ाई बन चुकी है और बोइंग जमकर पैसा इसीलिए बांट रहा है कि यदि इसमें उसका दोष साबित हो गया तो उसक लिए अस्तित्व बचाना ही मुश्किल हो जाएगा.

बोइंग इस समय जितने घाटे में है उससे भी ज्यादा कर्जे में भी है और उसकी प्रतिद्वंद्वी एयरबस ने उसे ऑर्डर से लेकर सुरक्षा तक के हर मामले में पछाड़ रखा है. अमेरिकी सरकार भी चाहती है कि बोइंग के तौर पर एविएशन क्षेत्र में जो उसकी धाक है वह बची रहे इसलिए सरकार भी पूरी कोशिश कर रही है बोइंग बच जाए. यहां तक कि बोइंग अपने जिस नए प्लेन 777 एक्स को अगले साल उतारना चाह रहा है उसकी राहें भी मुश्किल होने की संभावना लग रही है क्योंकि आर्थिक संकट ओर गड़बड़ियों की रिपोर्ट के चलते पूरा बोइंग का ढ़ांचा हिल चुका है. फ्यूल कंट्रोल स्विच को लेकर पहले भी चेतावनियां दी गई थीं और अहमदाबाद दुर्घटना के बाद यह सामने आ रहा है कि बोइंग में तकनीकी खामियां कोई नई बात नहीं हैं. ऐसे में यदि बोइंग को दोषी ठहराने वाली रिपोर्ट आ जाती है तो बोइंग को डिलीवरी ही नहीं बल्कि प्रोडक्शन भी रोकना पड़ सकता है. बोइंग 787-8 के ऑर्डर की संख्या बड़ी दिखती जरुर है लेकिन इसका प्रोडक्शन बेहद धीमा रहा है, वहीं एयरबस A350 प्रोडक्शन, बिक्री और तकनीकी तौर पर बोइंग को लगातार पीट रहा है. पिछले पांच सालों में बोइंग ने 250 ड्रीमलाइनर बेचे और एयरबस ने 300 से ज्यादा A350 डिलीवर किए हैं और सुरक्षा में भी उसका रिकॉर्ड कहीं बेहतर रहा है.