BBC- Reuter प्लेन क्रैश रिपोर्ट पर झूठी खबरें दे रहे
बोइंग का दबाव कि मानवीय भूल बता दें तो उसका व्यापार बचा रहे, इसीलिए इंटरनेशनल मीडिया पायलट की गलती बता रहा
अहमदाबाद प्लेन क्रैश पर आई पंद्रह पेज की रिपोर्ट पर दुनिया भर में वही झूठ फैलाया जाना शुरु हो गया है जिसकी शंका थी. एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो की रिपोर्ट को दुनिया के सामने रॉयटर्स, बीबीसी और डेली मेल जैसे समाचार संस्थानों ने जानबूझकर तोड़ मरोड़कर सामने रखना शुरु कर दिया है जिसका सीधा मतलब है कि ये संस्थान बोइंग को क्लीनचिट दिलाने के काम में लग गई हैं क्यों बोइंग इस पर काफी पैसा खर्च कर रहा है जबकि दुर्घटना में मारे गए पायलट्स तो अपना बचाव करने के लिए भी सामने नहीं आ सकते. एएआईबी की रिपोर्ट को गलत तरीके से पेश करते हुए अधिकतर विदेशी मीडिया ने एक पायलट के उस बयान को तो हाइलाइट किया जिसमें वो साथी से पूछ रहे हैं कि तुमने कटऑफ क्यों किया लेकिन दूसरे पायलट का वह जवाब छुपा रहे हैं जिसमें वह साफ कह रहा है कि उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया. जाहिर है यह सब उसी वजह से हुआ है जिसे लेकर बोइंग को 2018 से चेतावनी दी जा रही थी कि उसके फ्यूल सिस्टम को लेकर दिक्कत है जिससे ऑटो कटऑफ लेने की संभावना बनती है और ऐसा कई मामलों में वाकई हुआ भी. प्राथमिक रिपोर्ट में भी कहीं पायलट को दोषी नहीं ठहराया गया है लेकिन अमेरिकी कंपनी बोइंग के पैसा बहाने और अमेरिकी ब्रिटिश संबंधों के चलते बीबीसी जैसे संस्थान बोइंग के पक्ष में बैटिंग कर रहे हैं और पूरी बेशर्मी से कर रहे हैं.बोइंग जेटलाइनर्स के खराब इंजन और प्रोडक्ट डिफेक्ट तक बात न पहूंचे इसलिए बोइंग पूरा जोर लगा रही है कि अहमदाबाद दुर्घटना को मानवीय भूल बता कर बरी हो जाया जा सके. 12 जून को हुए एअर इंडिया की फ्लाइट AI171 में प्लेन बोइंग का 787-8 ड्रीमलाइनर था जिस पर कई साल पहले भी उठ चुके हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि इतने अनुभवी तो छोड़िए कोई नौसिखिया पायलट भी एकदम से फ्यूल बंद नहीं करेगा और जब वह टेकऑफ कर रहा हो तो उसके पास इतना वक्त ही नहीं होगा कि वह फ्यूल कट करने की जटिल प्रक्रिया में उलझे और कमाल यह भी कि वह पलक झपकते ही यानी लगभग तीन सेकंड में ही वापस उस प्रक्रिया को रिवर्स कर रन पर भी नहीं कर सकता जैसा कि इस प्लेन में हुआ यानी यह सब बोइंग की तकनीकी खामी के चलते हुआ जिसमें ऑटो कटऑफ हुआ और फिर वह रन पर भी आ गया लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. 180 नॉट्स की गति पर एयरपोर्ट की दीवार से बाहर होने के पहले ही प्लेन के दोनों इंजन बंद हो गए. प्लेन का रैम एयर टर्बाइन भी चालू हो जाना बोइंग की तकनीकी खामी ही उजागर करता है. यानी यह साफ है कि पायलट की गलती नहीं थी बल्कि उन्होंने अपने अंतिम समय तक पूरी कोशिश की और तब भी उन्होंने भीड़ वाले क्षेत्र पर प्लेन को गिरने न देने का कदम उठाया वरना प्लेन में बैठे यात्रियों के अलावा मारे गए लोगों की संख्या काफी ज्यादा होती क्योंकि पास ही घनी आबादी का क्षेत्र था, हालांकि इस मामले में भी 19 लोग ऐसे मारे गए जो प्लेन सवार नहीं थे लेकिन यह पायलट की सूझबूझ ही थी कि यह आंकड़ा बहुत बड़ा नहीं हो सका. इंटरनेशनल मीडिया में पायलटों की गलती बताने की जल्दी और दबाव है ताकि इसे मानवीय भूल बताकर बोइंग का व्यापार बचाया जा सके क्योंकि इस घटना में यदि बोइंग की गलती बता दी गई तो उसका अरबों का व्यापार प्रभावित होगा और उसकी प्रतिस्पर्धी एयरबस को इसका फायदा मिल जाएगा.
‘द गार्जियन’ ने फ्यूल स्विच के कटऑफ होने को खबर बनाया लेकिन कोशिश यही की कि इसे पायलट की गलती बता दिया जाए वहीं बीबीसी ने कॉकपिट के ‘फ्यूल स्विच बंद कर दिए गए’ जैसी खबर लगाई है जिससे साफ है कि वह ऐसी कोई जानकारी न होते हुए भी पायलट को दोषी ठहराना चाहता है. जबकि बीबीसी को भी पता है कि बोइंग में यह पहला मौका नहीं है जब इंजन ने कटऑफ ले लिया हो और इसमें पायलट कहीं शामिल न रहा हो. प्रारंभिक के बाद पूरी रिपोर्ट आने में अभी तीन महीने और लगने वाले हैं लेकिन तब तक इसे इंटरनेशनल लेवल पर साफ कहे जाने की जरुरत है कि अभी पायलट को दोषी ठहराने की जल्दी कोई भी न करे जैसा कि बोइंग के दबाव में कई संस्थान कर रहे हैं.