Bangladesh हसीना के राज में पूरे देश में कर्फ्यू
सौ से ज्यादा मौतें, पांच सौ से ज्यादा पुलिस चौकियां जलाई गईं
आरक्षण को लेकर शुरु हुआ छात्र आंदोलन इस कदर हिंसक हो चुका है कि पूरे बांग्लादेश में गृहयुद्ध जैसे हालात देखते हुए कर्फ्यू लगाना पड़ गया है और दंगों के बीच मरने वालों की संख्या आधिकारिक तौर पर सौ से ज्यादा हो गई है जबकि सूत्रों का कहना है कि यह संख्या कहीं ज्यादा बड़ी है. इस आंदोलन की शुरुआत शांत थी लेकिन जैसे जैसे इसमें राजनीतिक पार्टियों और कट्टरपंथी संगठनों का दखल बढ़ा हालात बेकाबू होते गए. 100 से ज्यादा लोगों की मौत और 2500 से ज्यादा लोगों के घायल होने के आंकड़े भी भयावहता को पूरी तरह नहीं बता पा रहे हैं क्योंकि शहरों में चारों तरफ दहशत का माहौल बन चुका है. जो घायल हैं उनमें 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी हैं. प्रदर्शनकारियों ने एक जेल के सैकड़ों कैदियों को भगाने के बाद उसे पूरी तरह आगे के हवाले कर दिया.बांगलादेश में इंटरनेट और फोन सेवाएं पूरी तरह बंद कर दी गई हैं. न अखबार निकल पा रहे हैं न वेबसाइट्स अपडेट हो रही हैं और न सोशल मीडिया के जरिए ही लोग अपने हालात बता पा रहे हैं. बांग्लादेश के कम से कम 44 जिलों में हिंसा भड़की हुई है. 500 से ज्यादा पुलिस चौकियां जला दिए जाने के समाचार की तो पुष्टि हो चुकी है. हालात बेकाबू होते देख सेना को मोर्चा संभालने के लिए कह दिया गया है. स्कूल, कॉलेज बंद है और कई सरकारी ऑफिस लूटपाट के बाद जला दिए गए हैं. सरकारी टीवी का मुख्यालय और डाटा सेंटर जला दिया गया है. दरअसल शेख हसीना का यही वोटबैंक रहा है जो उनके खिलाफ अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन कर रहा है. आंदोलनकारी छात्र कह रहे हैं कि आवामी लीग पार्टी अपने वफादारों को सरकारी नौकरियां देने के लिए आरक्षण का गलत इस्तेमाल करती है इसलिए आरक्षण खत्म होना चाहिए.