Bangladesh में आंदोलनकारी छात्र अड़े, कहा- सरकार इस्तीफा दे
दो घंटे कर्फ्यू खोला गया था रविवार को लेकिन फिर लगाना पड़ा
बांगलादेश में जारी हिंसा थमने का नाम नहीं ले रही है. सुप्रीम कोर्ट ने आंदोलनकारियों की एक बड़ी मांग को काफी हद तक पूरा कर दिया और मुक्ति जोधाओं सहित आरक्षण को 56 से घटाकर 7 प्रतिशत तक सीमित कर दिया है लेकिन अब छात्रों का कहना है कि यह सात प्रतिशत भी खत्म करना होगा और अब तो हमारी मुख्य मांग ही बदल गई है यानी जब तक सरकार इस्तीफा नहीं देती हम चुप नहीं बैठेंगे.
वैसे छात्रों की दो मूल मांगें थीं जो काफी हद तक पूरी हो चुकी हैं, पहली मांग में उन्होंने मुक्ति जोधाओं का आरक्षण पूरी तरह खत्म करने को कहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे 6 प्रतिशत कर दिया, दूसरी मांग में छात्र कह रहे थे कि 94 प्रतिशत सरकारी नौकरियां मेरिट के आधार पर दी जानी चाहिए और सुप्रीम कोर्ट ने इसमें महज एक प्रतिशत का फर्क रखा है यानी एससी का आदेश है कि मेरिट के आधार पर 93 प्रतिशत भर्तियां हों. दरअसल शेख हसीना को मुक्ति जोधाओं को आरक्षण वाली नीति इसलिए भी प्रिय है क्योंकि यह उनके पिता शेख मुजीब उर रहमान ने 1972 में बनाई थी. हसीना इसे इसलिए बढ़ाती रही हैं क्योंकि इससे उनका पार्टी का बड़ा कैडर जुड़ा रहा है और यही वजह है कि बाद में इन जोधाओं के पोत पोतियों को भी आरक्षण का लाभ दिया जाने लगा.