Analysis कौन हैं ये लोग, कहां से आते हैं
कॉमेडियन जेलेंस्की पर इस हद तक दांव लगाने वाले जो ट्रंप को पिद्दी दिखाने वाला कार्टून शेयर कर रहे थे
- आदित्य पांडे
व्हाइट हाउस से जेलेंस्की तेवर दिखाकर निकले तो कई महामानव इस बात पर तुल गए कि देखो क्या जिगरा है बंदे का, ओवल ऑफिस में पोटस को आंखें दिखाकर आ गया. कुछ ने कहा कि देखिए ये होता है अपने देश के लिए लड़ने वाले की हिम्मत. उस कार्टून को शेयर करने वालों की भी कमी नहीं थी जिसमें जेलेंस्की के सामने ट्रंप पिद्दी से दिखाए गए थे. इसके बाद वह दौर आया जिसमें यूरोप के कई पिद्दी पिद्दी से देश मिलकर यूक्रेन को दिलासा दे रहे थे कि तुम चिंता मत करो, हम तुम्हारे साथ हैं. जिन देशों के पास खुद की छोटी मोटी सेना तक नहीं है वो कहने लगे हम तुम्हारे साथ खड़े हैं, जिन देशों की आर्थिक हालत वेंटिलेटर पर है वो जेलेंस्की को कहने लगे कि हम आर्थिक मदद देंगे, आप तो युद्ध लड़ो. ‘चढ़ जा बेटा सूली पर’ का नारा एक बार फिर वैसे ही बुलंद किया गया जैसा यूक्रेन को युद्ध में झोंकने से पहले (अमेरिका सहित) इन देशों ने किया था. तब भी यू्रकेन वालों को यही कहा गया था कि नाटो में घुसने के लिए ‘जेलेंस्की तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं’.
तीन साल के लंबे समय में जेलेंस्की को इतना भले समझ न आया हो कि ट्रंप के साथ एक बेहतरीन समझौता उनके लिए अभी कितनी राहत ला सकता है लेकिन इतना तो वो समझ ही गए होंगे कि पीछे से संघर्ष करो के नारे लगाने वाले पहले हमले में ही कैसे पीछे से ही गायब हो जाते हैं. एक ही दिन में अमेरिकी मदद का बंद होने का ऐलान सामने आ गया, अगले ही दिन जेलेंस्की ने कह दिया कि ट्रंप के नेतृत्व में वो जब चाहें हम समझौते के लिए तैयार हैं. इस नए जेलेंस्की के सामने आते ही योद्धा, फाइटर और न झुकने वाली छवि पर बलिहारी जा रहे लोगों को समझ ही नहीं आ रहा है कि वो क्या करें. अब वो उस फुरसत की तलाश में हैं जिसमें ट्रंप को पिद्दी दिखाने वाले कार्टून वाली पोस्ट को डिलीट करें. जिन लोगों, मीडियाई महामानवों और इस प्रकरण में भी मोदी को छोटा दिखाने की कोशिश करने वालों ने अमेरिकी राष्ट्रपति पर तंज कसने की हरसंभव कोशिश की वे समझ नहीं पा रहे हैं कि इस झकुने वाले, अपनी जमीन से खनिज निकालने की बात मानने वाले और जमीनी हकीकत में बुरी तरह पिट चुके जेलेंस्की के पूजन की कौन सी विधि अपनाएं. एक सज्जन ने प्रश्न पूछा है कि क्या आप एक देश से यह उम्मीद करते हैं कि वह रुस जैसे देश के अतिक्रमण पर समर्पण करते हुए कह दे कि आपको जो करना हो वो कर लो… और इसका जवाब यह है कि रुस को असुरक्षा की भावना देने के लिए, अपनी चौखट पर नाटो की सदस्यता के नाम पर रुस के खिलाफ जाल में फंसने की जरुरत ही क्या थी. यूक्रेन को नाटो की सदस्यता से क्या हासिल होना था यह तो सिर्फ जेलेंस्की ही समझ पा रहे थे लेकिन रुस को नाराज करने का नतीजा क्या होगा यह पूरी दुनिया को पता था. यकीन मानिए ओवल ऑफिस में ससम्मान बुलाए गए जेलेंस्की के लिए अब शर्तें बदली हुई होंगी. ट्रंप को नाराज करने का खामियाजा क्या होगा यह जेलेंस्की समझ नहीं सके क्योंकि उनके अंदर का विदूषक यानी कॉमेडियन उन्हें कभी गंभीर होने ही नहीं देता है. जिस डीप स्टेट के कहने पर जेलेंस्की ने अपने देश का सबकुछ दांव पर लगा दिया था उससे पीछा छुड़ाने की कोई समझ अब भी इस आदमी में नहीं आई है और ट्रंप मस्क की जोड़ी इस बात के लिए प्रतिबद्ध है कि वह सोरोस, बिडेन, ओबामा एंड कंपनी के गठजोड़ के सारे हिस्से पुर्जे अलग कर के ही दम लेंगे. ये तो खैर बड़े लेागों की वो बड़ी बातें हैं जो समय के साथ ही सामने आतीर हैं लेकिन मुझे तो उन लोगों पर घोर आश्चर्य है जो इतनी बड़ी बड़ी कुर्सियों पर बैठे हैं और जेलेंस्की के सामने ट्रंप को बौना दिखाकर यह बताना चाहते थे कि अवैध आप्रवासियों से टूट रहा यूरोप अब रुस और अमेरिका की नाराजी से यूक्रेन को न सिर्फ बचा ले जाएगा बल्कि इनसे जेलेंस्की को जीत भी दिला देगा.