7.6 अरब अमेरिकी डॉलर से पाकिस्तान खरीदता है चीन का कचरा
चीन और तुर्किए ने जो बड़ी कीमतें लेकर सैन्य उपकरण दिए सबकी पोल ऑपरेशन सिंदूर से खुली
भारत का पहलगाम आतंकी हमले का बदला लेना तय था जिसे उसने ऑपरेशन सिंदूर के तहत अंजाम भी दिया लेकिन अब पाकिस्तान का कहना है कि यह युद्ध भड़काने जैसी कार्रवाई है और पानी रोक कर भारत ने पहले ही हमसे दुश्मनी मोल ले ली है इसलिए अब जवाब दिया जाएगा. मजे की बात यह है कि पाव भर वाले परमाणु बम से लेकर गौरी, अब्दाली और फतेह जैसी मिसालों की धमकी देने वाले पाकिस्तान को चीन के राडार और हथियारों ने धोखा दे दिया. पाकिस्तानी फौज कह रही थी कि हम जाग रहे हैं और अलर्ट पर हैं लेकिन जब 6-7 मई की दरमियानी रात भारत ने “आपरेशन सिंदूर” किया तो न पाकिस्तान की सारी तकनीक और फौज बकवास साबित हुई. पाकिस्तान दुनिया भर से हथियार भारत के खिलाफ लड़ने के लिए ही खरीदता है. तुर्किए और चीन के राडार वगैरह जिस तरह से नाकाम साबित हुए उससे तो यही लगता है कि पाकिस्तान को हथियार के नाम पर खिलौने देकर बहला दिया गया. पाकिस्तान-नियंत्रित कश्मीर ही नहीं पाकिस्तान उससे भी आगे अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर सौ किलेामीटर तक जाकर भारतीय जेट तबाही मचा आए और पाकिस्तान के लिहाज से बेहद काम के नौ आतंकवादी ठिकाने उड़ा दिए गए लेकिन पाकिस्तान की हवाई सुरक्षा को इस सबकी खबर तब लगी जब भारत ने बदला लेने की बात सोशल मीडिया पर डालकर जय हिंद कह दिया. न राडार और न दूसरी वायु रक्षा प्रणालियों की कोई बचाव में भूमिका रही. चीन से लिए लो-लेबल एयर डिफेन्स राडार सिस्टम जे वाय-27ए, वायएलसी-6, वायएलसी-4 बी लंबी दूरी और कम ऊँचाई वाले विमानों को तक ट्रैक करने का दावा करते हुए पाकिस्तान को दिए गए. स्वीडन का जिराफ कहे जाने वाले साब-2000 विमान में भी राडार मौजूद है. यानी एयरस्पेस की निगरानी, कमांड और कंट्रोल बढ़ाने के लिए पाकिस्तान ने इस पर जो खर्च किया वह भी कचरा साबित हुआ. चीन का जेड डी के-03 ए ई डब्ल्यू देते समय पाकिस्तान को बताया गया था कि यह लंबी दूरी से हवाई खतरों की निगरानी सटीक तरीके से करेगा लेकिन यह भी बेकार रहा.
चूंकि भारत ने स्टैंडऑफ हथियारों का उपयोग किया जिनमें स्कैल्प मिसाइलें तो भारतीय क्षेत्र से ही लॉन्च कर दी गईं, कम ऊंचाई और स्टील्य वीपन्स ने पाकिस्तान के राडारों को धता बता दी. पाकिस्तान की मानें तो 24 मिसाइल हमलों में से किसी का भी इंटरसेप्शन नहीं हुआ, यानी चीन के एचक्यू-9/पी और ली-80 जैसे सिस्टम भी फेल रहे. पाकिस्तान जिन वायु रक्षा प्रणालियों एचक्यू-9/पी (125-250 किमी रेंज), ली-सो (40-70 किमी), और एचक्यू-16, एचटी-233 और आईबिस-150 का उपयोग करता है वो भले कागज पर मजबूत लगती हों लेकिन ये भारतीय अटैक के सामने बौनी ही साबित हुई हैं. 2011 में जब अमेरिकर विमानों ने ओसामा को एबटाबाद ऑपरेशन में मारा था तब भी पाकिस्तानी वायु सुरक्षा इसी तरह फेल हुई थी. वहीं भारत डसॉल्ट फाल्कन 20 जैसे प्लेटफॉर्म से पाकिस्तानी राडार नेटवर्क को जाम कर सकने में सक्षम है. पैसे पैसे को माहताज पाकिस्तान ने पिछले साल रक्षा बजट पंद्रह प्रतिशत तक बढ़ाकर 7.6 अरब अमेरिकी डॉलर तक किया जो उसकी जीडीपी लगभग दो प्रतिशत बैठता है लेकिन ऑपरेशन सिंदूर ने बता दिया है कि वह अपनी आबादी को भूखे रखकर जो हथियार और सिस्टम खरीद रहा है वह कचरे से ज्यादा कुछ नहीं हैं. एचक्यू-9बीबी जैसे सिस्टम तो बैलिस्टिक मिसाइलों से मुकाबला करने के लिए ही खूब खर्च के साथ पाक सेना में जोड़े गए थे लेकिन वे नौ आतंकी कैंप्स में से एक को भी नहीं बचा सके, साफ है कि पाकिस्तान को अब आटे की ज्यादा चिंता करना चाहिए क्योंकि उसका रक्षा पर किया गया खर्च बेकार साबित हो गया है.