July 25, 2025
देश दुनिया

WHO के मानकों से आधे से ज्यादा भारतीय सुस्त हैं

लैंसेट ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट कह रही है कि आधे से ज्यादा भारतीय आबादी सुस्त है और शारीरिक गतिविधियों के मामले में यदि यही हाल रहा तो अगले पांच सालों बाद देश की यानी 2030 तक 60 फीसदी आबादी अस्वस्थ होगी. आधी वयस्क आबादी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के शारीरिक गतिविधियों संबंधी दिशा-निर्देश पर खरी नहीं उतरती है. या कहें शारीरिक तौर पर फिट नहीं है. गतिविधियों को लेकर सुस्ती के मामले में पुरुषों का प्रतिशत कम है यानी लगभग 42 फीसदी जबकि 57 फीसदी इस मामले में निष्क्रिय हैं. वैश्विक स्तर पर 31.3 प्रतिशत लोग पर्याप्त शारीरिक श्रम नहीं करते और इस हिसाब से भी भारत का सुस्ती का प्रतिशत कहीं ज्यादा है. यदि पूरी आबादी की चंता न भी करें तो युवाओं में बढ़ती सुस्ती भी अलग ही आंकड़े सामने रखती है. फिजिकली इनएक्टिव भारतीय युवाओं का प्रतिशत 2000 में 22.3 था जो 2022 में 49.4 प्रतिशत तक पहुंच गया. डब्ल्यू एच ओ का मानना है कि अगर युवा हफ्ते में 150 मिनट से कम श्रम करे तो इसे अपर्याप्त माना जाता है.
कम श्रम करने वालों में दिल की बीमारियों से लेकर शुगर, डिमेंशिया और कैंसर का खतरा बढ़ता है. 2019 का हेल्थ इंडेक्स सबसे स्वस्थ देशों में स्पेन, इटली, आइसलैंड, जापान, स्विट्जरलैंड, स्वीडन और इजरायल को रखता है. हालांकि पिछले पांच सालों में बदलते रहन-सहन, जंक फूड जैसे खानपान, बॉडी क्लॉक की गड़बड़ी, एकाकीपन और इलेक्ट्रानिक संसाधनों पर अधिक समय बिताने की मुश्किलें पूरे विश्व में हैं लेकिन भरत में यह खतरनाक हो गया है. खुद हमें इस बारे में ध्यान देना होगा और सरकार को भी स्वास्थ्य, खेल व शिक्षा के बीच एक बेहतरीन समन्वय के लिए काम करना होगा.